पतझड़ से बसंत में भी अब बागों में नूर उतर आया है ख | हिंदी Shayari

"पतझड़ से बसंत में भी अब बागों में नूर उतर आया है खिलती कलियों को देख अब भंवरा भी इतराया है अब खुशबू भरी चांदनी रातें गहरी होती जा रही है और तुम्हारी लहराती जुल्फें देख तस्वीरों में अब चांद उतर आया है ©कवि- जीतू जान"

 पतझड़ से बसंत में भी अब बागों में नूर उतर आया है
खिलती  कलियों  को  देख अब  भंवरा भी इतराया है
अब  खुशबू  भरी  चांदनी  रातें  गहरी  होती  जा रही  है और
तुम्हारी लहराती जुल्फें देख तस्वीरों में अब चांद उतर आया है

©कवि- जीतू जान

पतझड़ से बसंत में भी अब बागों में नूर उतर आया है खिलती कलियों को देख अब भंवरा भी इतराया है अब खुशबू भरी चांदनी रातें गहरी होती जा रही है और तुम्हारी लहराती जुल्फें देख तस्वीरों में अब चांद उतर आया है ©कवि- जीतू जान

#ballet

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