निस्वार्थ भाव मां मां दया करुणा से भरी जैसे मानो | हिंदी कविता

"निस्वार्थ भाव मां मां दया करुणा से भरी जैसे मानो परोपकार की चादर ओढ़ी मां का आंचल खुशियों से भरा फुलवारी मां के चरणों में जन्नत की किलकारी मां हर चोट का मरहम बनकर खड़े हो जाती खुद की चोट को मुस्कुराहट में छुपा जाती एक मां ही है जो अपने सपनों को छोड़कर बच्चों के सपनों को पूरा करने में जुट जाती है मां अपने खुद के लिए कभी नहीं जीती वह आखरी सांस तक बच्चो के लिए जीती यह मां ही होती जो निस्वार्थ फर्ज निभाती है फिर भी उसकी हिस्से में स्वार्थी नाम मिलता है ©Priyanka Thakur"

 निस्वार्थ भाव मां 

मां दया करुणा से भरी जैसे
मानो परोपकार की चादर ओढ़ी 

मां का आंचल खुशियों से भरा फुलवारी
मां के चरणों में जन्नत की किलकारी 

मां हर चोट का मरहम बनकर खड़े हो जाती
खुद की चोट को मुस्कुराहट में छुपा जाती 

एक मां ही है जो अपने सपनों को छोड़कर
बच्चों के सपनों को पूरा करने में जुट जाती है 

मां अपने खुद के लिए कभी नहीं जीती
वह आखरी सांस तक बच्चो के लिए जीती 

यह मां ही होती जो निस्वार्थ फर्ज निभाती है 
फिर भी उसकी हिस्से में स्वार्थी नाम मिलता है

©Priyanka Thakur

निस्वार्थ भाव मां मां दया करुणा से भरी जैसे मानो परोपकार की चादर ओढ़ी मां का आंचल खुशियों से भरा फुलवारी मां के चरणों में जन्नत की किलकारी मां हर चोट का मरहम बनकर खड़े हो जाती खुद की चोट को मुस्कुराहट में छुपा जाती एक मां ही है जो अपने सपनों को छोड़कर बच्चों के सपनों को पूरा करने में जुट जाती है मां अपने खुद के लिए कभी नहीं जीती वह आखरी सांस तक बच्चो के लिए जीती यह मां ही होती जो निस्वार्थ फर्ज निभाती है फिर भी उसकी हिस्से में स्वार्थी नाम मिलता है ©Priyanka Thakur

#MothersDay2021

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