White तुम्हें ही सोचूं ये कहाँ तक ठीक है चांद तारो | हिंदी कविता

"White तुम्हें ही सोचूं ये कहाँ तक ठीक है चांद तारों से कहकर तुम्हें मनाऊं ये कहा तक ठीक है आँखों की ज़ुबान तो बेजुबान भी समझ लेते हैं समझदारों को समझाऊं ये कहा तक ठीक है चांद,तारों,पेड़,पौधों,पशु,पक्षियों किससे नहीं तेरा ज़िक्र किया सब समझ गए,एक तुम न समझो ये कहाँ तक ठीक है काश बिना कहे पढ़ लेते तुम मेरा मन तुम्हें हर बात समझाऊं ये कहाँ तक ठीक है ©Richa Dhar"

 White तुम्हें ही सोचूं ये कहाँ तक ठीक है
चांद तारों से कहकर तुम्हें मनाऊं ये कहा तक ठीक है

आँखों की ज़ुबान तो बेजुबान भी समझ लेते हैं
समझदारों को समझाऊं ये कहा तक ठीक है

चांद,तारों,पेड़,पौधों,पशु,पक्षियों किससे नहीं तेरा ज़िक्र किया
सब समझ गए,एक तुम न समझो ये कहाँ तक ठीक है

काश बिना कहे पढ़ लेते तुम मेरा मन
तुम्हें हर बात समझाऊं ये कहाँ तक ठीक है

©Richa Dhar

White तुम्हें ही सोचूं ये कहाँ तक ठीक है चांद तारों से कहकर तुम्हें मनाऊं ये कहा तक ठीक है आँखों की ज़ुबान तो बेजुबान भी समझ लेते हैं समझदारों को समझाऊं ये कहा तक ठीक है चांद,तारों,पेड़,पौधों,पशु,पक्षियों किससे नहीं तेरा ज़िक्र किया सब समझ गए,एक तुम न समझो ये कहाँ तक ठीक है काश बिना कहे पढ़ लेते तुम मेरा मन तुम्हें हर बात समझाऊं ये कहाँ तक ठीक है ©Richa Dhar

#goodnightimages कहाँ तक ठीक है

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