White खुले आकाश के नीचे फूलों के झुरमुट के बीच मैं बैठी थी
और मुझे ताकता हुआ गुमसुम सा चांद कुछ कहना चाहता था
मेरे अल्फ़ाज़ों में इतनी हिम्मत कहाँ के मैं अपना दर्द कह सकूं
पर वो चांद मेरा अकेलापन दूर करने चला आता था
मुझे सुनने,मुझे समझने,पर मैं चुप ही रहती थी
मेरा दोस्त मेरा हमराज़ ये चांद,मुझे समझने चला आता था
मैं कुछ न भी कहूँ पर वो सब समझता था
और मैं भी कुछ नहीं कहती पर वो मेरी खामोशी पढ़ने चला आता था।
©Richa Dhar
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