Richa Dhar

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I enjoy writing, reading listening to poetry.

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White प्रेम और पीड़ा✍️✍️✍️ आज शब्दों से शृंगार करने बैठ गयी मैं अपनी कविताओं को सजाने बैठ गयी सहसा रुक गयी कलम, ठिठक गए कदम कहती अनन्य प्रेम की गाथा तुम लिख देती हो क्या तुमसे मेरी पीड़ा नहीं देखी गयी??? तुमने कविताओं में सिर्फ प्रेम को स्थान दिया क्यों मेरी पीड़ा तुम्हारी कविताओं से विलुप्त होती गयी ये तो तुम्हारे मन के ही अंतर्द्वद्ध हैं फिर इस द्वंद में मेरी पीड़ा क्यों पराजित हो गयी। ©Richa Dhar

#शायरी #love_shayari  White प्रेम और पीड़ा✍️✍️✍️

आज शब्दों से शृंगार करने बैठ गयी 
मैं अपनी कविताओं को सजाने बैठ गयी
सहसा रुक गयी कलम, ठिठक गए कदम
कहती अनन्य प्रेम की गाथा तुम लिख देती हो
क्या तुमसे मेरी पीड़ा नहीं देखी गयी???
तुमने कविताओं में सिर्फ प्रेम को स्थान दिया
क्यों मेरी पीड़ा तुम्हारी कविताओं से विलुप्त होती गयी
ये तो तुम्हारे मन के ही अंतर्द्वद्ध हैं
फिर इस द्वंद में मेरी पीड़ा क्यों पराजित हो गयी।

©Richa Dhar

#love_shayari प्रेम और पीड़ा

19 Love

यूं रोते रहने से तक़दीर नहीं बदलने वाली ज़िंदगी ज़रुर बदलती है मौत नहीं बदलने वाली मेरी हर शाम दुखों का बवंडर लाती है लगता है ज़िंदगी मेरी खुशियों से नहीं बदलने वाली उनके दिए तोहफ़े ग़म बनकर रुलाते हैं मेरी तन्हाईयाँ अब महफ़िलों से नहीं बदलने वाली मेरी ख़ुशी का बगीचा दुखों का पतझड़ ने उजाड़ दिया लगता है इसमें अब कोई भी ऋतु नहीं आने वाली ©Richa Dhar

#Tulipsतक़दीर #शायरी  यूं रोते रहने से तक़दीर नहीं बदलने वाली
ज़िंदगी ज़रुर बदलती है मौत नहीं बदलने वाली

मेरी हर शाम दुखों का बवंडर लाती है
लगता है ज़िंदगी मेरी खुशियों से नहीं बदलने वाली

उनके दिए तोहफ़े ग़म बनकर रुलाते हैं
मेरी तन्हाईयाँ अब महफ़िलों से नहीं बदलने वाली

मेरी ख़ुशी का बगीचा दुखों का पतझड़ ने उजाड़ दिया
लगता है इसमें अब कोई भी ऋतु नहीं आने वाली

©Richa Dhar

White अब दुआएं बेअसर होने लगी हैं अब तो बद्दुआएं असरदार होने लगीं हैं इतनी भी जलन ठीक नहीं किसी से देखो लोगों की ज़िंदगी उजड़ने लगी है ठोकरें मिलती हैं और लोग फिर आगे बढ़ जाते हैं लेकिन लोगों की ज़िन्दगनियाँ तहस नहस करने लगी हैं अगर जलन तो उससे अच्छा बनके दिखाना तुम खामखाँ क्यों जूझते हो,लोगों अंदर से अब खुदाई जाने लगी है ©Richa Dhar

#शायरी #SAD  White अब दुआएं बेअसर होने लगी हैं
अब तो बद्दुआएं असरदार होने लगीं हैं
इतनी भी जलन ठीक नहीं किसी से
देखो लोगों  की ज़िंदगी उजड़ने लगी है
ठोकरें मिलती हैं और लोग फिर आगे बढ़ जाते हैं
लेकिन लोगों की ज़िन्दगनियाँ तहस नहस करने लगी हैं
अगर जलन तो उससे अच्छा बनके दिखाना तुम
खामखाँ क्यों जूझते हो,लोगों अंदर से अब खुदाई जाने लगी है

©Richa Dhar

#SAD खुदाई

11 Love

मैंने रात भर दूसरों के घर के उजाले देखे हैं पर अपने घर उजालों में भी अंधेरा पाया खुशबू तेरी दूर तलक फैली थी लेकिन अपने करीब तेरी खुशबू नहीं रख पाया ज़िंदगी तेरे साथ जीने के मुताबिक़ बहुत कम थी मैं ढूंढता रहा अपनी मंज़िल और कभी पहुँच नहीं पाया ©Richa Dhar

#शायरी  मैंने रात भर दूसरों के घर के उजाले देखे हैं
पर अपने घर उजालों में भी अंधेरा पाया

खुशबू तेरी दूर तलक फैली थी लेकिन
अपने करीब तेरी खुशबू नहीं रख पाया

ज़िंदगी तेरे साथ जीने के मुताबिक़ बहुत कम थी
मैं ढूंढता रहा अपनी मंज़िल और कभी पहुँच नहीं पाया

©Richa Dhar

मंजिल

13 Love

White जब वक़्त बुरा हो दोस्त भी साथ छोड़ देते है अकेलेपन से निपटने का एक नायाब तोहफ़ा देते हैं वक़्त मजबूत बना देता है हमारी फ़ितरत को वरना चट्टानों से टकराने ही हिम्मत दोस्त कहाँ देते हैं ©Richa Dhar

#शायरी #Emotional  White जब वक़्त बुरा हो दोस्त भी साथ छोड़ देते है
अकेलेपन से निपटने का एक नायाब तोहफ़ा देते हैं

वक़्त मजबूत बना देता है हमारी फ़ितरत को
वरना चट्टानों से टकराने ही हिम्मत दोस्त कहाँ देते हैं

©Richa Dhar

#Emotional दोस्त

15 Love

White खुले आकाश के नीचे फूलों के झुरमुट के बीच मैं बैठी थी और मुझे ताकता हुआ गुमसुम सा चांद कुछ कहना चाहता था मेरे अल्फ़ाज़ों में इतनी हिम्मत कहाँ के मैं अपना दर्द कह सकूं पर वो चांद मेरा अकेलापन दूर करने चला आता था मुझे सुनने,मुझे समझने,पर मैं चुप ही रहती थी मेरा दोस्त मेरा हमराज़ ये चांद,मुझे समझने चला आता था मैं कुछ न भी कहूँ पर वो सब समझता था और मैं भी कुछ नहीं कहती पर वो मेरी खामोशी पढ़ने चला आता था। ©Richa Dhar

#शायरी #Moon  White खुले आकाश के नीचे फूलों के झुरमुट के बीच मैं बैठी थी
और मुझे ताकता हुआ गुमसुम सा चांद कुछ कहना चाहता था

मेरे अल्फ़ाज़ों में इतनी हिम्मत कहाँ के मैं अपना दर्द कह सकूं
पर वो चांद मेरा अकेलापन दूर करने चला आता था

मुझे सुनने,मुझे समझने,पर मैं चुप ही रहती थी
मेरा दोस्त मेरा हमराज़ ये चांद,मुझे समझने चला आता था

मैं कुछ न भी कहूँ पर वो सब समझता था
और मैं भी कुछ नहीं कहती पर वो मेरी खामोशी पढ़ने चला आता था।

©Richa Dhar

#Moon चांद✍️✍️✍️

15 Love

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