White प्रेम और पीड़ा✍️✍️✍️ आज शब्दों से शृंगार कर | हिंदी शायरी

"White प्रेम और पीड़ा✍️✍️✍️ आज शब्दों से शृंगार करने बैठ गयी मैं अपनी कविताओं को सजाने बैठ गयी सहसा रुक गयी कलम, ठिठक गए कदम कहती अनन्य प्रेम की गाथा तुम लिख देती हो क्या तुमसे मेरी पीड़ा नहीं देखी गयी??? तुमने कविताओं में सिर्फ प्रेम को स्थान दिया क्यों मेरी पीड़ा तुम्हारी कविताओं से विलुप्त होती गयी ये तो तुम्हारे मन के ही अंतर्द्वद्ध हैं फिर इस द्वंद में मेरी पीड़ा क्यों पराजित हो गयी। ©Richa Dhar"

 White प्रेम और पीड़ा✍️✍️✍️

आज शब्दों से शृंगार करने बैठ गयी 
मैं अपनी कविताओं को सजाने बैठ गयी
सहसा रुक गयी कलम, ठिठक गए कदम
कहती अनन्य प्रेम की गाथा तुम लिख देती हो
क्या तुमसे मेरी पीड़ा नहीं देखी गयी???
तुमने कविताओं में सिर्फ प्रेम को स्थान दिया
क्यों मेरी पीड़ा तुम्हारी कविताओं से विलुप्त होती गयी
ये तो तुम्हारे मन के ही अंतर्द्वद्ध हैं
फिर इस द्वंद में मेरी पीड़ा क्यों पराजित हो गयी।

©Richa Dhar

White प्रेम और पीड़ा✍️✍️✍️ आज शब्दों से शृंगार करने बैठ गयी मैं अपनी कविताओं को सजाने बैठ गयी सहसा रुक गयी कलम, ठिठक गए कदम कहती अनन्य प्रेम की गाथा तुम लिख देती हो क्या तुमसे मेरी पीड़ा नहीं देखी गयी??? तुमने कविताओं में सिर्फ प्रेम को स्थान दिया क्यों मेरी पीड़ा तुम्हारी कविताओं से विलुप्त होती गयी ये तो तुम्हारे मन के ही अंतर्द्वद्ध हैं फिर इस द्वंद में मेरी पीड़ा क्यों पराजित हो गयी। ©Richa Dhar

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