अरसों से सिर्फ़ तन्हाई पी रहा हूँ, बिन छुए उसे मु | हिंदी शायरी Video

"अरसों से सिर्फ़ तन्हाई पी रहा हूँ, बिन छुए उसे मुद्दतों से जी रहा हूँ, घर नहीं अपना इस उल्फ़त मे मैं मैं हमेशा ही एक सी गली रहा हूँ, धूप का क्या वास्ता हैं हम से बंद पड़े मकान में मैं नमी रहा हूँ, क़ैद करो मुझे भी तुम जेल में तुमसे इश्क़ करके भी बरी रहा हूँ, क्यूँ ये राख बनने का नाम ही नहीं सदियों से तेरे लिए जल ही रहा हूँ, ©HSE YasH KhaN "

अरसों से सिर्फ़ तन्हाई पी रहा हूँ, बिन छुए उसे मुद्दतों से जी रहा हूँ, घर नहीं अपना इस उल्फ़त मे मैं मैं हमेशा ही एक सी गली रहा हूँ, धूप का क्या वास्ता हैं हम से बंद पड़े मकान में मैं नमी रहा हूँ, क़ैद करो मुझे भी तुम जेल में तुमसे इश्क़ करके भी बरी रहा हूँ, क्यूँ ये राख बनने का नाम ही नहीं सदियों से तेरे लिए जल ही रहा हूँ, ©HSE YasH KhaN

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