जब लोग कहते हैं हमसे तुम बदल गए हो यार, हम पूछते | हिंदी कविता

"जब लोग कहते हैं हमसे तुम बदल गए हो यार, हम पूछते हैं उनसे ये बदलना ये बदलना क्या है? गिरे चोट खाई लड़खड़ाए फिर चल पड़े हम, हम समझ भी ना पाए कि भटकना ये भटकना क्या है। लोग रोते हैं किस्मत तोड़ रही है हमें, एक हम हैं जो बिखर कर भी पूछते हैं टूटना अब ये टूटना क्या है? जिस वक्त बह चुके थे हम सागर में नदिया की तरह, उस पल भी सोचते थे अक्श ये अक्श क्या है? कुछ ऐसा नाता है हमारा हमारी मंजिलों से, सफर के बीच में कहते हैं यारो ये सफर क्या है? कुछ इस कदर गढ़ा हमने खुदको हम गजल बन गए, फिर भी कश्मकश है गजल ये गजल क्या है? पागल हैं हम क्या जाने दुनिया कि समझदारी, तुमसे पूछते हैं अक्ल ये अक्ल क्या है? जब जीया नहीं जाता लोगों से बिना दूजे का जीवन बिगाड़े, हम ये भी समझ न पाए दखल ये दख्ल क्या है? हैरत नहीं हमें जो तुम हंसो हमारी बर्बादी पर, बस इतना सा पूछना चाहते हैं ये जो दिखाते हो या वो जो छुपाते हो शक्ल ये शक्ल क्या है? ©Consciously Unconscious"

 जब लोग कहते  हैं हमसे तुम बदल गए हो यार,
हम पूछते हैं उनसे ये बदलना ये बदलना क्या  है?

गिरे चोट खाई लड़खड़ाए फिर चल पड़े हम,
हम समझ भी ना पाए कि भटकना ये भटकना क्या है।

लोग रोते हैं किस्मत तोड़ रही है हमें,
एक हम हैं जो बिखर कर भी पूछते हैं टूटना अब ये टूटना क्या  है?

जिस वक्त बह चुके थे हम सागर में नदिया की तरह,
उस पल भी सोचते थे अक्श ये अक्श क्या है?

कुछ ऐसा नाता है हमारा हमारी मंजिलों से,
सफर के बीच में कहते हैं यारो ये सफर क्या है?

कुछ इस कदर गढ़ा हमने खुदको हम गजल बन गए,
फिर भी कश्मकश है गजल ये गजल क्या है?

पागल हैं हम क्या जाने दुनिया कि समझदारी,
तुमसे पूछते हैं अक्ल ये अक्ल क्या है?

जब जीया नहीं जाता लोगों से बिना दूजे का जीवन बिगाड़े,
हम ये भी समझ न पाए दखल ये दख्ल क्या है?

हैरत नहीं हमें जो तुम हंसो हमारी बर्बादी पर,
बस इतना सा पूछना चाहते हैं  ये  जो दिखाते हो या वो जो छुपाते हो शक्ल ये शक्ल क्या है?

©Consciously Unconscious

जब लोग कहते हैं हमसे तुम बदल गए हो यार, हम पूछते हैं उनसे ये बदलना ये बदलना क्या है? गिरे चोट खाई लड़खड़ाए फिर चल पड़े हम, हम समझ भी ना पाए कि भटकना ये भटकना क्या है। लोग रोते हैं किस्मत तोड़ रही है हमें, एक हम हैं जो बिखर कर भी पूछते हैं टूटना अब ये टूटना क्या है? जिस वक्त बह चुके थे हम सागर में नदिया की तरह, उस पल भी सोचते थे अक्श ये अक्श क्या है? कुछ ऐसा नाता है हमारा हमारी मंजिलों से, सफर के बीच में कहते हैं यारो ये सफर क्या है? कुछ इस कदर गढ़ा हमने खुदको हम गजल बन गए, फिर भी कश्मकश है गजल ये गजल क्या है? पागल हैं हम क्या जाने दुनिया कि समझदारी, तुमसे पूछते हैं अक्ल ये अक्ल क्या है? जब जीया नहीं जाता लोगों से बिना दूजे का जीवन बिगाड़े, हम ये भी समझ न पाए दखल ये दख्ल क्या है? हैरत नहीं हमें जो तुम हंसो हमारी बर्बादी पर, बस इतना सा पूछना चाहते हैं ये जो दिखाते हो या वो जो छुपाते हो शक्ल ये शक्ल क्या है? ©Consciously Unconscious

#Goodevening

😊😊😊😊
कैसा है मेरा नोजोटो परिवार
याद आई सो चले आए

अच्छा फिर मिलते हैं एक महीने बाद

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