Consciously Unconscious

Consciously Unconscious

Don't try to make opinions about me, I am quite different from what you think.एक एहसास जिंदगी है, एक राज जिंदगी है। जो दिखाई नहीं देता तुम्हें कभी, वो मेरा ख्वाब जिंदगी है।

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अजीब ही है आखिर खुदा ने एक परी को जमीं पर कैसे उतारा होगा, जब आए होंगे आप स्वयं देवी के अवतार में हए क्या खूब नजारा होगा। जो आप ना होंगे यहां तो क्या हमारा होगा, आखिर चांद बिना तारों का क्या गुजारा होगा। जो हो स्वयं इतना अलौकिक और खूबसूरत, ऐ खुदा उनसे अच्छा क्या नज़ारा होगा। क्या कहें कैसे कहें लफ्ज़ तो मिले कोई, बस सोचते रहते हैं कैसे कोई आपसे भी प्यारा होगा। मुस्कराहट जैसे हो सूर्य की लालिमा , नयनों से कहां कोई निराला होगा। हम तो लिख देंगें किताब बस समय और शब्द दे खुदा कई सारे, इंसानी लफ्जों में जो करिश्मा उतरे तो कैसे गुजारा होगा। ©Consciously Unconscious

#कविता  अजीब ही है आखिर खुदा ने एक परी को जमीं पर कैसे उतारा होगा,
जब आए होंगे आप स्वयं देवी के अवतार में हए क्या खूब नजारा होगा।

जो आप ना होंगे यहां तो क्या हमारा होगा,
आखिर चांद बिना तारों का क्या गुजारा होगा।

जो हो स्वयं इतना अलौकिक और खूबसूरत,
ऐ खुदा उनसे अच्छा क्या नज़ारा होगा।

क्या कहें कैसे कहें लफ्ज़ तो मिले कोई,
बस सोचते रहते हैं कैसे कोई आपसे भी प्यारा होगा।

मुस्कराहट जैसे हो सूर्य की लालिमा ,
नयनों से कहां कोई निराला होगा।

हम तो लिख देंगें किताब बस समय और शब्द दे खुदा कई सारे,
इंसानी लफ्जों में जो करिश्मा उतरे तो कैसे गुजारा होगा।

©Consciously Unconscious

सिया दी @siya pandey @banaras ki deewani ☺️😊☺️ mera di

55 Love

बहुत अच्छे से तैर लेते हो दोस्त तूफानों में भी, सच बताओ कश्ती के डूबाए हुए हो क्या? इतने अच्छे से संभाल लेते हो तुम दूसरों को, क्या तुम भी किस्मत के गिराए हुए हो क्या? मरहम लगा देते हो जब भी देखते हो जख्मी किसी को, तुम भी जमाने में चोट खाए हुए हो क्या? कितने अच्छे से समझ लेते हो बातों को तुम, क्या तुम भी कभी दबाए हुए हो क्या? यूं खेल लेते हो तुम मुश्किलों के साथ हंसते हंसते, तुम भी कभी परिस्थितियों के रुलाए हुए हो क्या? फर्क नहीं पड़ता जो अब तुम्हें सूरज के ताप से, आग में तुम जलाए हुए हो क्या? कितने मजबूत हो तुम टूटते ही नहीं हीरे की चोट से भी, पत्थरों की दुनिया के ठुकराए हुए हो क्या? कैसे जान लेते हो किस रुख में बहेंगी हवाएं यहां, तुम सच कहो इन तुफानों में डगमगाए हुए हो क्या? कितनी खुबसूरती से धिक्कार देते हो हार के अस्तित्व को, तुम भी कहीं सच में सताए हुए हो क्या? ©Consciously Unconscious

#कविता #darkness  बहुत अच्छे से तैर लेते हो दोस्त तूफानों में भी,
सच बताओ कश्ती के डूबाए हुए हो क्या?

इतने अच्छे से संभाल लेते हो तुम दूसरों को,
क्या तुम भी किस्मत के गिराए हुए हो क्या?

मरहम लगा देते हो जब भी देखते हो जख्मी किसी को,
तुम भी जमाने में चोट खाए हुए हो क्या?

कितने अच्छे से समझ लेते हो बातों को तुम,
क्या तुम भी कभी दबाए हुए हो क्या?

यूं खेल लेते हो तुम मुश्किलों के साथ हंसते हंसते,
तुम भी कभी परिस्थितियों के रुलाए हुए हो क्या?

फर्क नहीं पड़ता जो अब तुम्हें सूरज के ताप से,
आग में तुम जलाए हुए हो क्या?

कितने मजबूत हो तुम टूटते ही नहीं हीरे की चोट से भी,
पत्थरों की दुनिया के ठुकराए हुए हो क्या?

कैसे जान लेते हो किस रुख में बहेंगी हवाएं यहां,
तुम सच कहो इन तुफानों में डगमगाए हुए हो क्या?

कितनी खुबसूरती से  धिक्कार देते हो हार के अस्तित्व को,
तुम भी कहीं सच में सताए हुए हो क्या?

©Consciously Unconscious

#darkness बस अब २ से एग्जाम हैं 10 को हम वापस यहां

74 Love

जब लोग कहते हैं हमसे तुम बदल गए हो यार, हम पूछते हैं उनसे ये बदलना ये बदलना क्या है? गिरे चोट खाई लड़खड़ाए फिर चल पड़े हम, हम समझ भी ना पाए कि भटकना ये भटकना क्या है। लोग रोते हैं किस्मत तोड़ रही है हमें, एक हम हैं जो बिखर कर भी पूछते हैं टूटना अब ये टूटना क्या है? जिस वक्त बह चुके थे हम सागर में नदिया की तरह, उस पल भी सोचते थे अक्श ये अक्श क्या है? कुछ ऐसा नाता है हमारा हमारी मंजिलों से, सफर के बीच में कहते हैं यारो ये सफर क्या है? कुछ इस कदर गढ़ा हमने खुदको हम गजल बन गए, फिर भी कश्मकश है गजल ये गजल क्या है? पागल हैं हम क्या जाने दुनिया कि समझदारी, तुमसे पूछते हैं अक्ल ये अक्ल क्या है? जब जीया नहीं जाता लोगों से बिना दूजे का जीवन बिगाड़े, हम ये भी समझ न पाए दखल ये दख्ल क्या है? हैरत नहीं हमें जो तुम हंसो हमारी बर्बादी पर, बस इतना सा पूछना चाहते हैं ये जो दिखाते हो या वो जो छुपाते हो शक्ल ये शक्ल क्या है? ©Consciously Unconscious

#कविता #Goodevening  जब लोग कहते  हैं हमसे तुम बदल गए हो यार,
हम पूछते हैं उनसे ये बदलना ये बदलना क्या  है?

गिरे चोट खाई लड़खड़ाए फिर चल पड़े हम,
हम समझ भी ना पाए कि भटकना ये भटकना क्या है।

लोग रोते हैं किस्मत तोड़ रही है हमें,
एक हम हैं जो बिखर कर भी पूछते हैं टूटना अब ये टूटना क्या  है?

जिस वक्त बह चुके थे हम सागर में नदिया की तरह,
उस पल भी सोचते थे अक्श ये अक्श क्या है?

कुछ ऐसा नाता है हमारा हमारी मंजिलों से,
सफर के बीच में कहते हैं यारो ये सफर क्या है?

कुछ इस कदर गढ़ा हमने खुदको हम गजल बन गए,
फिर भी कश्मकश है गजल ये गजल क्या है?

पागल हैं हम क्या जाने दुनिया कि समझदारी,
तुमसे पूछते हैं अक्ल ये अक्ल क्या है?

जब जीया नहीं जाता लोगों से बिना दूजे का जीवन बिगाड़े,
हम ये भी समझ न पाए दखल ये दख्ल क्या है?

हैरत नहीं हमें जो तुम हंसो हमारी बर्बादी पर,
बस इतना सा पूछना चाहते हैं  ये  जो दिखाते हो या वो जो छुपाते हो शक्ल ये शक्ल क्या है?

©Consciously Unconscious

#Goodevening 😊😊😊😊 कैसा है मेरा नोजोटो परिवार याद आई सो चले आए अच्छा फिर मिलते हैं एक महीने बाद

59 Love

तुम्हें आता नहीं हंसना तुम हमारी दुनिया के नहीं, सच कहता हूं मैं हां तुम मनहूश हो। तुम्हें हक नहीं है जीने का हमारी वस्तियों मैं, जाओ कैद हो जाओ और खुदखुसी कर लो क्योंकि तुम मनहूश हो। तुम्हारे सामने आ जाने से दिल की धड़कनें रुकती हैं, हां मैं मानता हूं की तुम मनहूश हो। शक्ल देखकर तुम्हारी राहें बदलनी पड़ती है हमें हम सफर रोक देते हैं, क्योंकि ये कैसे मानना छोड़ दें कि तुम मनहूश हो। भले ही हो जो भी दुख तुम्हारा क्या मतलब तुम आंसुओं की बाढ़ करदो, हमसे दूर रहना तुम क्योंकि तुम मनहूश हो। क्या करेंगे जानकर तुम्हारी दास्तां हम ओ मारे गए परिंदे, तुम इसी काबिल हो क्योंकि तुम मनहूश हो। हम नहीं छोड़ेंगे करना तंज तुम पर कसना ताने, हक है हमारा तुम्हें जीतेजी मार डालना क्योंकि तुम मनहूश हो। नोच डालेंगे तुम्हारी रूह को हम तुम्हारा जिस्म तो बचेगा ही क्या, शिकायत क्या करते हो जानते नहीं क्या कि तुम मनहूश हो। तुम्हारी हर एक चीख को हम सुनेंगे महफिल सजाकर, और तुम्हारी अर्थी पर हसेंगे क्योंकि तुम मनहूश हो। ©Consciously Unconscious

#कविता #Manhoosh  तुम्हें आता नहीं हंसना तुम हमारी दुनिया के नहीं,
सच कहता हूं मैं हां तुम मनहूश हो।

तुम्हें हक नहीं है जीने का हमारी वस्तियों मैं,
जाओ कैद हो जाओ और खुदखुसी  कर लो क्योंकि तुम मनहूश हो।

तुम्हारे सामने आ जाने से दिल की धड़कनें रुकती हैं,
हां मैं मानता हूं की तुम मनहूश हो।

शक्ल देखकर तुम्हारी राहें  बदलनी पड़ती है हमें हम सफर रोक देते हैं,
क्योंकि ये कैसे मानना छोड़ दें कि तुम मनहूश हो।

भले ही हो जो भी दुख तुम्हारा क्या मतलब तुम आंसुओं की बाढ़ करदो,
हमसे दूर रहना तुम क्योंकि तुम मनहूश हो।

क्या करेंगे जानकर तुम्हारी दास्तां हम ओ मारे गए परिंदे,
तुम इसी काबिल हो क्योंकि तुम मनहूश हो।

हम  नहीं छोड़ेंगे करना तंज तुम पर  कसना ताने,
हक है हमारा तुम्हें जीतेजी मार डालना क्योंकि तुम मनहूश हो।

नोच डालेंगे तुम्हारी रूह को हम  तुम्हारा जिस्म तो बचेगा ही क्या,
शिकायत क्या करते हो जानते नहीं क्या कि तुम मनहूश हो।

तुम्हारी हर एक चीख को हम सुनेंगे महफिल सजाकर,
और तुम्हारी अर्थी पर हसेंगे क्योंकि तुम मनहूश हो।

©Consciously Unconscious

#Manhoosh आज एक महिला की मृत्यु हो गई घर के पास अपने बच्चे को जन्म देते ही..... लोग आकर उस बच्चे के बारे में कहते हैं ये मनहूश है। आज हमारे देश है शादी के बाद अगर पति का इंतकाल हो तो महिला मनहूश हो जाती है.. लिखे बिना रहा नहीं गया.. ये बातें हृदय भेद रही थी इसलिए यहां अपने परिवार के करीब आ गए अच्छा अब चलते हैं... stay blessed परिवार

57 Love

अकस्मात ही एक ख्याल आया, जीवन में कैसा ये बहाव आया। हंसी में कैसे टाल देता खुदको, बस बैठे बैठे ये एक ख्याल आया। सोचा था जितना और जितना अंदाजा लगाए बैठा हूं, जीवन किसी के अंदाजे पर नहीं चलता सहसा ये सवाल आया। मेरी आवाजें मेरी बात चीत सुनकर रफ्ता रफ्ता, मेरे जीवन को मुझपर और मुझे कठिनाइयों पर प्यार आया। अरे यूंही तो नहीं हो जाती है ख़ाक शक्सियत किसी की, आग लगी ही थी और मुझको ये ध्यान आया। बंद पिंजरे तो बहुतेरे देखे थे हमने, जब पिंजरे खुले ही हैं परिंदे तो बता कैसे खता का इसकी तुझे याद आया। मलाल तो कई थे हमें अपनी जिंदगी से, जब आरोप लगाने चाहे खुदा पर बेजुबानों का ख्याल यार आया। देखा था मैंने बार कईयों ही मरते हुए लोगों को दोस्त, आंखें बंद होने के बाद सदा जीने का एक अरमान आया। मैं तो यूंही घूम रहा था मंदिरों, मस्जिदों गुरुद्वारों और चर्च में सखा मेरे, दिल खोला ही था अपना और दरवाज़े से भगवान आया। ©Consciously Unconscious

#movingtowardsnextclass #कविता  अकस्मात ही एक ख्याल आया,
जीवन में कैसा ये बहाव आया।

हंसी में कैसे टाल देता खुदको,
बस बैठे बैठे ये एक ख्याल आया।

सोचा था जितना और जितना अंदाजा लगाए बैठा हूं,
जीवन किसी के अंदाजे पर नहीं चलता सहसा ये सवाल आया।

मेरी आवाजें मेरी बात चीत सुनकर रफ्ता रफ्ता,
मेरे जीवन को मुझपर और मुझे कठिनाइयों पर प्यार आया।

अरे यूंही तो नहीं हो जाती है ख़ाक शक्सियत किसी की,
आग लगी ही थी और मुझको ये ध्यान आया।

बंद पिंजरे तो बहुतेरे देखे थे हमने,
जब पिंजरे खुले ही हैं परिंदे तो बता कैसे खता का इसकी तुझे याद आया।

मलाल तो कई थे हमें अपनी जिंदगी से,
जब आरोप लगाने चाहे खुदा पर बेजुबानों का ख्याल यार आया।

देखा था मैंने बार कईयों ही मरते हुए लोगों को दोस्त,
आंखें बंद होने के बाद सदा जीने का एक अरमान आया।

मैं तो यूंही घूम रहा था मंदिरों, मस्जिदों गुरुद्वारों और चर्च में सखा मेरे,
दिल खोला ही था अपना और दरवाज़े से भगवान आया।

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b ek khyal aaya... @siya pandey Saurav life @shudhanshu sharma @Shahab @mysterious boy 😊 mere exam hai march se... #movingtowardsnextclass

59 Love

#कविता #Smoothguitar

#Smoothguitar voice kuchh jyada hi low ho gayi 😂😂 koi nahi aap sah lena..... @siya pandey Saurav life @shudhanshu sharma @Shahab @mysterious boy 😊😊

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