अजीब ही है आखिर खुदा ने एक परी को जमीं पर कैसे उता | हिंदी कविता

"अजीब ही है आखिर खुदा ने एक परी को जमीं पर कैसे उतारा होगा, जब आए होंगे आप स्वयं देवी के अवतार में हए क्या खूब नजारा होगा। जो आप ना होंगे यहां तो क्या हमारा होगा, आखिर चांद बिना तारों का क्या गुजारा होगा। जो हो स्वयं इतना अलौकिक और खूबसूरत, ऐ खुदा उनसे अच्छा क्या नज़ारा होगा। क्या कहें कैसे कहें लफ्ज़ तो मिले कोई, बस सोचते रहते हैं कैसे कोई आपसे भी प्यारा होगा। मुस्कराहट जैसे हो सूर्य की लालिमा , नयनों से कहां कोई निराला होगा। हम तो लिख देंगें किताब बस समय और शब्द दे खुदा कई सारे, इंसानी लफ्जों में जो करिश्मा उतरे तो कैसे गुजारा होगा। ©Consciously Unconscious"

 अजीब ही है आखिर खुदा ने एक परी को जमीं पर कैसे उतारा होगा,
जब आए होंगे आप स्वयं देवी के अवतार में हए क्या खूब नजारा होगा।

जो आप ना होंगे यहां तो क्या हमारा होगा,
आखिर चांद बिना तारों का क्या गुजारा होगा।

जो हो स्वयं इतना अलौकिक और खूबसूरत,
ऐ खुदा उनसे अच्छा क्या नज़ारा होगा।

क्या कहें कैसे कहें लफ्ज़ तो मिले कोई,
बस सोचते रहते हैं कैसे कोई आपसे भी प्यारा होगा।

मुस्कराहट जैसे हो सूर्य की लालिमा ,
नयनों से कहां कोई निराला होगा।

हम तो लिख देंगें किताब बस समय और शब्द दे खुदा कई सारे,
इंसानी लफ्जों में जो करिश्मा उतरे तो कैसे गुजारा होगा।

©Consciously Unconscious

अजीब ही है आखिर खुदा ने एक परी को जमीं पर कैसे उतारा होगा, जब आए होंगे आप स्वयं देवी के अवतार में हए क्या खूब नजारा होगा। जो आप ना होंगे यहां तो क्या हमारा होगा, आखिर चांद बिना तारों का क्या गुजारा होगा। जो हो स्वयं इतना अलौकिक और खूबसूरत, ऐ खुदा उनसे अच्छा क्या नज़ारा होगा। क्या कहें कैसे कहें लफ्ज़ तो मिले कोई, बस सोचते रहते हैं कैसे कोई आपसे भी प्यारा होगा। मुस्कराहट जैसे हो सूर्य की लालिमा , नयनों से कहां कोई निराला होगा। हम तो लिख देंगें किताब बस समय और शब्द दे खुदा कई सारे, इंसानी लफ्जों में जो करिश्मा उतरे तो कैसे गुजारा होगा। ©Consciously Unconscious

सिया दी

@siya pandey @banaras ki deewani ☺️😊☺️
mera di

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