बचपन को हम जिंदगी समझ बैठे थे,
उच्चाइयों को छूने में खुद को भूल बैठे थे,
लगा...दुनिया मुट्ठी में कर बैठे थे,
अब समझ आया तो अकेले और बेसहारा बैठे है,
पास बैठे है सब मेरे....
पर लगता है मिलों का नाता हैं
दिल मे एक ऐसा सन्नाटा हैं जहाँ ना कोई अपना ना पराया हैं
ऐसा नजारा हैं .....मानो दुनिया भी हारा हैं
💔
©banaras ki deewani
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