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"                 रंगों की इस दुनिया में अपना रंग छोड़ते है जिसके बदलते है रंग उसका संग छोड़ते है ये आंखों को चुभन देती है गुलाल तो नहीं  लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं ना साथ मिला ना कोई उपहार मिल सका ना इजहार मिली ना इनकार मिल सका लिख दिया कविता जिस शख्स के लिए ना वो शख्स ना उसका प्यार मिल सका ना दिलों के इस महफ़िल में तकरार चहिए ना रंग ना किसी रंगों का त्योहार चहिए ना कोई हमदर्दी ना किसी का प्यार चहिए जो दोस्ती को निभाए रखे ऐसा यार चहिए टूटे हुए धागों को जोड़ एक पतंग उड़ाते है  सारी शिकायतों को मिला कर रंग उड़ाते है ऐसे ही ख़्याल जो तुम्हें पसंद है आजकल बेरंग महफ़िल में गुलाल मनपसंद उड़ाते है तुम भी रंगों को अपने चेहरे पर लगाना अपने ही दाग अपनें ही रंगों से छुपाना होली है ईश्क की कोई  मशाल तो नही  लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं। होली की शुभकामनाएं ❤️🎉 ©कुमार दीपेन्द्र"

                 


रंगों की इस दुनिया में अपना रंग छोड़ते है
जिसके बदलते है रंग उसका संग छोड़ते है
ये आंखों को चुभन देती है गुलाल तो नहीं 
लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं

ना साथ मिला ना कोई उपहार मिल सका
ना इजहार मिली ना इनकार मिल सका
लिख दिया कविता जिस शख्स के लिए
ना वो शख्स ना उसका प्यार मिल सका

ना दिलों के इस महफ़िल में तकरार चहिए
ना रंग ना किसी रंगों का त्योहार चहिए
ना कोई हमदर्दी ना किसी का प्यार चहिए
जो दोस्ती को निभाए रखे ऐसा यार चहिए

टूटे हुए धागों को जोड़ एक पतंग उड़ाते है 
सारी शिकायतों को मिला कर रंग उड़ाते है
ऐसे ही ख़्याल जो तुम्हें पसंद है आजकल
बेरंग महफ़िल में गुलाल मनपसंद उड़ाते है

तुम भी रंगों को अपने चेहरे पर लगाना
अपने ही दाग अपनें ही रंगों से छुपाना
होली है ईश्क की कोई  मशाल तो नही 
लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं।


होली की शुभकामनाएं ❤️🎉

©कुमार दीपेन्द्र

                 रंगों की इस दुनिया में अपना रंग छोड़ते है जिसके बदलते है रंग उसका संग छोड़ते है ये आंखों को चुभन देती है गुलाल तो नहीं  लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं ना साथ मिला ना कोई उपहार मिल सका ना इजहार मिली ना इनकार मिल सका लिख दिया कविता जिस शख्स के लिए ना वो शख्स ना उसका प्यार मिल सका ना दिलों के इस महफ़िल में तकरार चहिए ना रंग ना किसी रंगों का त्योहार चहिए ना कोई हमदर्दी ना किसी का प्यार चहिए जो दोस्ती को निभाए रखे ऐसा यार चहिए टूटे हुए धागों को जोड़ एक पतंग उड़ाते है  सारी शिकायतों को मिला कर रंग उड़ाते है ऐसे ही ख़्याल जो तुम्हें पसंद है आजकल बेरंग महफ़िल में गुलाल मनपसंद उड़ाते है तुम भी रंगों को अपने चेहरे पर लगाना अपने ही दाग अपनें ही रंगों से छुपाना होली है ईश्क की कोई  मशाल तो नही  लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं। होली की शुभकामनाएं ❤️🎉 ©कुमार दीपेन्द्र

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