कुमार दीपेन्द्र

कुमार दीपेन्द्र

कलम से क्रांति लाना मेरा प्रथम उद्देश्य 🤟🙏💖

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बीते समय से आधुनिक का दौर  युग कौतूहल को सम्मान दे रही है  होटलों पर देख पुरुषों की भीड़ भी  शिक्षित महिला का प्रमाण दे रही है  इंतजार है बेबाक सा द्वंद युद्ध का भी  मौन होना जीत का फरमान दे रही है  दफ्तरों से निकलते महिलाओं का झुण्ड  शिक्षित समाज का ये प्रमाण दे रही है  किसी श्वेत पत्र पर लिखना भी होगा  लेखनी भी उड़ने का अरमान दे रही है  देवी पूजन सर्वप्रथम हो समाज में अब  शिक्षित समाज को ये अभिमान दे रही है  विमानों को उड़ाते मेरे समाज की बेटी तभी महिला सपनों को उड़ान दे रही है  होटलों पर देख पुरुषों की भीड़ भी  शिक्षित महिला का प्रमाण दे रही है ।। ©कुमार दीपेन्द्र

#मोटिवेशनल #Woman #girl  बीते समय से आधुनिक का दौर 
युग कौतूहल को सम्मान दे रही है 
होटलों पर देख पुरुषों की भीड़ भी 
शिक्षित महिला का प्रमाण दे रही है 

इंतजार है बेबाक सा द्वंद युद्ध का भी 
मौन होना जीत का फरमान दे रही है 
दफ्तरों से निकलते महिलाओं का झुण्ड 
शिक्षित समाज का ये प्रमाण दे रही है 

किसी श्वेत पत्र पर लिखना भी होगा 
लेखनी भी उड़ने का अरमान दे रही है 
देवी पूजन सर्वप्रथम हो समाज में अब 
शिक्षित समाज को ये अभिमान दे रही है 

विमानों को उड़ाते मेरे समाज की बेटी
 तभी महिला सपनों को उड़ान दे रही है 
होटलों पर देख पुरुषों की भीड़ भी 
शिक्षित महिला का प्रमाण दे रही है ।।

©कुमार दीपेन्द्र

#Woman #girl

17 Love

White हैसियत कम पर अरमान बहुत है जिसे देखो परेशान बहुत है सुना था नेकी करने से दुनिया जानती है आजकल लुटेरों की भी पहचान बहुत है ख्वाबों में देखे कुछ बड़े ख्वाब है पता चला ये ख्वाब भी बेईमान बहुत है सामने से गुजरते है कुछ लोग ही देखने से लगता है उनमें ईमान बहुत है हैसियत कम पर अरमान बहुत है जिसे देखो परेशान बहुत है ©कुमार दीपेन्द्र

#मोटिवेशनल #Goals #Dosti  White हैसियत कम पर अरमान बहुत है
जिसे देखो परेशान बहुत है
सुना था नेकी करने से दुनिया जानती है
आजकल लुटेरों की भी पहचान बहुत है

ख्वाबों में देखे कुछ बड़े ख्वाब है
पता चला ये ख्वाब भी बेईमान बहुत है
सामने से गुजरते है कुछ लोग ही
देखने से लगता है उनमें ईमान बहुत है

हैसियत कम पर अरमान बहुत है
जिसे देखो परेशान बहुत है

©कुमार दीपेन्द्र

#Dosti #Life #Goals

12 Love

रातें किसी की याद में कटती है दिन भी दफ्तर ही खा जाता है कुछ देर ही गहरी नींद तो हो फिर शुरू ये दिन हो जाता है  मन सोच विचार में लगा ही रहता कुछ ना कुछ हां भी हो जाता है एक ही पड़ाव बस पड़ता स्वप्न का फिर शुरू ये दिन हो जाता है गांव समाज सभी मित्र है बिछड़े जिन्हे सोच के ही मन भर जाता है बचपना बीत गई तो बड़े हो गए है ये मानव क्षण भर में ही मर जाता है कुछ ख्वाब सहेजे कुछ बिछड़ गए एक लक्ष्य को ऐसे कोई पा जाता है एक अरसे के बाद सोचा मुस्कुरा लूं  ये मौत का भी डर खा जाता है रातें किसी की याद में कटती है दिन भी दफ्तर ही खा जाता है कुछ देर ही गहरी नींद तो हो फिर शुरू ये दिन हो जाता है ©कुमार दीपेन्द्र

#MomentOfTime #follow #SAD  रातें किसी की याद में कटती है
दिन भी दफ्तर ही खा जाता है
कुछ देर ही गहरी नींद तो हो
फिर शुरू ये दिन हो जाता है 

 मन सोच विचार में लगा ही रहता
कुछ ना कुछ हां भी हो जाता है
एक ही पड़ाव बस पड़ता स्वप्न का
फिर शुरू ये दिन हो जाता है

गांव समाज सभी मित्र है बिछड़े
जिन्हे सोच के ही मन भर जाता है
बचपना बीत गई तो बड़े हो गए है
ये मानव क्षण भर में ही मर जाता है

कुछ ख्वाब सहेजे कुछ बिछड़ गए
एक लक्ष्य को ऐसे कोई पा जाता है
एक अरसे के बाद सोचा मुस्कुरा लूं
 ये मौत का भी डर खा जाता है

रातें किसी की याद में कटती है
दिन भी दफ्तर ही खा जाता है
कुछ देर ही गहरी नींद तो हो
फिर शुरू ये दिन हो जाता है

©कुमार दीपेन्द्र

#MomentOfTime #Life #SAD #follow

12 Love

                 रंगों की इस दुनिया में अपना रंग छोड़ते है जिसके बदलते है रंग उसका संग छोड़ते है ये आंखों को चुभन देती है गुलाल तो नहीं  लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं ना साथ मिला ना कोई उपहार मिल सका ना इजहार मिली ना इनकार मिल सका लिख दिया कविता जिस शख्स के लिए ना वो शख्स ना उसका प्यार मिल सका ना दिलों के इस महफ़िल में तकरार चहिए ना रंग ना किसी रंगों का त्योहार चहिए ना कोई हमदर्दी ना किसी का प्यार चहिए जो दोस्ती को निभाए रखे ऐसा यार चहिए टूटे हुए धागों को जोड़ एक पतंग उड़ाते है  सारी शिकायतों को मिला कर रंग उड़ाते है ऐसे ही ख़्याल जो तुम्हें पसंद है आजकल बेरंग महफ़िल में गुलाल मनपसंद उड़ाते है तुम भी रंगों को अपने चेहरे पर लगाना अपने ही दाग अपनें ही रंगों से छुपाना होली है ईश्क की कोई  मशाल तो नही  लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं। होली की शुभकामनाएं ❤️🎉 ©कुमार दीपेन्द्र

#लव #Holi                  


रंगों की इस दुनिया में अपना रंग छोड़ते है
जिसके बदलते है रंग उसका संग छोड़ते है
ये आंखों को चुभन देती है गुलाल तो नहीं 
लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं

ना साथ मिला ना कोई उपहार मिल सका
ना इजहार मिली ना इनकार मिल सका
लिख दिया कविता जिस शख्स के लिए
ना वो शख्स ना उसका प्यार मिल सका

ना दिलों के इस महफ़िल में तकरार चहिए
ना रंग ना किसी रंगों का त्योहार चहिए
ना कोई हमदर्दी ना किसी का प्यार चहिए
जो दोस्ती को निभाए रखे ऐसा यार चहिए

टूटे हुए धागों को जोड़ एक पतंग उड़ाते है 
सारी शिकायतों को मिला कर रंग उड़ाते है
ऐसे ही ख़्याल जो तुम्हें पसंद है आजकल
बेरंग महफ़िल में गुलाल मनपसंद उड़ाते है

तुम भी रंगों को अपने चेहरे पर लगाना
अपने ही दाग अपनें ही रंगों से छुपाना
होली है ईश्क की कोई  मशाल तो नही 
लो छूट गया है साथ कोई मलाल तो नहीं।


होली की शुभकामनाएं ❤️🎉

©कुमार दीपेन्द्र

#Holi

11 Love

ये कैसा बावलापन है मेरा ये कैसी मेरी रूहदारी है मैं खुद को आपका मान बैठा हूं बस बताना आपकी जिम्मेदारी है ये कश्मकश जिंदगी की उलझे हुए इससे निकलना भी समझदारी है मैं खुद को आईने में देख मुस्कुराता हूं बस बताना आपकी जिम्मेदारी है ©कुमार दीपेन्द्र

#romanticstory #लव  ये कैसा बावलापन है मेरा
ये कैसी मेरी रूहदारी है
मैं खुद को आपका मान बैठा हूं
बस बताना आपकी जिम्मेदारी है

ये कश्मकश जिंदगी की उलझे हुए
इससे निकलना भी समझदारी है
मैं खुद को आईने में देख मुस्कुराता हूं
बस बताना आपकी जिम्मेदारी है

©कुमार दीपेन्द्र

मुझको सबसे प्यारा कह लो या आंखों का तारा कह लो इतना तो हक बनता ही है खुद को आप हमारा कह लो जब भी देखो मुझको देखो भले पागलपन का नजारा कह लो इतना तो हक बनता ही है खुद को आप हमारा कह लो ©कुमार दीपेन्द्र

#लव  मुझको सबसे प्यारा कह लो
या आंखों का तारा कह लो
इतना तो हक बनता ही है
खुद को आप हमारा कह लो

जब भी देखो मुझको देखो
भले पागलपन का नजारा कह लो 
इतना तो हक बनता ही है
खुद को आप हमारा कह लो

©कुमार दीपेन्द्र

#Love

12 Love

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