सत्ता (दोहे)
सत्ताधारी जो बना, डोल गया ईमान।
जेबें सब अपनी भरें, दिखलाते वो शान।।
सत्ता ऐसा है नशा, हो जाते सब चूर।
मदिरा में भी डूबते, और लक्ष्य से दूर।।
सत्ता नेता को मिले, है उसका अधिकार।
सही समय पर काम हो, दिखे नहीं आसार।।
सत्ता की ये लालसा, करती जो गुमराह।
भटक रहे वे राह से, मिले नहीं है थाह।।
सत्ता की इस भूख ने, जीवन दिया बिखेर।
दल दल में ऐसे फसे, हो जाते फिर ढेर।।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
#सत्ता #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry
सत्ता (दोहे)
सत्ताधारी जो बना, डोल गया ईमान।
जेबें सब अपनी भरें, दिखलाते वो शान।।
सत्ता ऐसा है नशा, हो जाते सब चूर।
मदिरा में भी डूबते, और लक्ष्य से दूर।।
सत्ता नेता को मिले, है उसका अधिकार।
सही समय पर काम हो, दिखे नहीं आसार।।
सत्ता की ये लालसा, करती जो गुमराह।
भटक रहे वे राह से, मिले नहीं है थाह।।
सत्ता की इस भूख ने, जीवन दिया बिखेर।
दल दल में ऐसे फसे, हो जाते फिर ढेर।।
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देवेश दीक्षित
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