ख़ुद से ख़ुद को मिलाना चाहता हूं
सिर्फ तुमसे ही दिल लगाना चाहता हूं
बड़ी मशक्कत से छिपा रक्खा था जो राज़
आओ कभी वक्त लेकर तुम्हें बताना चाहता हूं
जियादा चाहतें नहीं हैं मेरी ऐ सनम
बस तेरे संग बैठना मुस्कुराना चाहता हूं
सफ़र में चलते - चलते बहुत थक गया हूं
अब मै दो पल सुकुं के बिताना चाहता हूं
मंज़ूर नहीं यूं ही दरबदर भटकना हमें
अब तुम में ही आशियाना चाहता हूं
सौंप कर जिम्मेदारियां ख़ुद की सारी
नींद गहरी मै अब सो जाना चाहता हूं
बसकर तुम्हारे कल्ब में ऐ सनम
बुनियाद ख़ुद की मिटाना चाहता हूं
©Byas Mishra
#अल्फ़ाज़_ए_सौम्य
#_writter_सौम्य🍁
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ख़ुद से ख़ुद को मिलाना चाहता हूं
सिर्फ तुमसे ही दिल लगाना चाहता हूं
बड़ी मशक्कत से छिपा रक्खा था जो राज़