पैगाम जिस दिन हम बूढ़े हो जाए, | हिंदी Poetry

"पैगाम जिस दिन हम बूढ़े हो जाए, उस दिन थोड़ा तुम सब्र करना। हमारी उम्मीद से ऊपर उठकर, ज़रा तुम हमारी उम्मीद बनना। भूल जाए अगर हम कोई बात, तो मुस्कराते हुए ज़रा तुम अपना बच्चन याद करना। जो हम अपने बूढ़े कदमों से चल ना पाए, तो सहारा तुम बनना। बीमार अगर हम कभी हो जाए, तो बोझ न मानकर ज़रा तुम हम पर खर्च करना। छोड़ अकेले न तुम हमको कही और जाना, पास बैठ ज़रा तुम हमसे बतियाना। ©Neha"

 पैगाम

जिस दिन हम बूढ़े हो जाए,
                          उस दिन थोड़ा तुम सब्र करना।
हमारी उम्मीद से ऊपर उठकर,
                     ज़रा तुम हमारी उम्मीद बनना।
                    भूल जाए अगर हम कोई बात,
तो मुस्कराते हुए ज़रा तुम अपना बच्चन याद करना।
                         जो हम अपने बूढ़े कदमों से चल ना पाए,
तो सहारा तुम बनना।                      
           बीमार अगर हम कभी हो जाए,
तो बोझ न मानकर ज़रा                   
तुम हम पर खर्च करना।
छोड़ अकेले न तुम हमको कही और जाना,
             पास बैठ ज़रा तुम हमसे बतियाना।

©Neha

पैगाम जिस दिन हम बूढ़े हो जाए, उस दिन थोड़ा तुम सब्र करना। हमारी उम्मीद से ऊपर उठकर, ज़रा तुम हमारी उम्मीद बनना। भूल जाए अगर हम कोई बात, तो मुस्कराते हुए ज़रा तुम अपना बच्चन याद करना। जो हम अपने बूढ़े कदमों से चल ना पाए, तो सहारा तुम बनना। बीमार अगर हम कभी हो जाए, तो बोझ न मानकर ज़रा तुम हम पर खर्च करना। छोड़ अकेले न तुम हमको कही और जाना, पास बैठ ज़रा तुम हमसे बतियाना। ©Neha

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#oldage

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