क् जब अस्ताचल की ओर जाता है , तब घना अंधेरा धरातल

"क् जब अस्ताचल की ओर जाता है , तब घना अंधेरा धरातल पर छा जाता है । घना अंधेरा छाता, पर चंद्र छटा बढ़ाता है, तारों से जैसे देव कोई, नित आकाश सजाता है। पर यह अंधेरा ऐसा आया कि छट ही नहीं रहा , तिमिर निरंतर बना हुआ है घट नहीं रहा। यह तामसी वृत्ति के उन दुष्टों की करतूत है, जो राक्षस-दानव-नीच-पापी-असूय-भूत है। भारत तुला पड़ा है यह अंधेरा मिटाने को, पर लंबी दाढ़ी वाला लगा पड़ा है सूर्य ही डुबाने को।। @patrakaar_writes"

 क् जब अस्ताचल की ओर जाता है , 
तब घना अंधेरा धरातल पर छा जाता है ।
 
घना अंधेरा छाता, पर चंद्र छटा बढ़ाता है, 
 तारों से जैसे देव कोई, नित आकाश सजाता है। 

पर यह अंधेरा ऐसा आया कि छट ही नहीं रहा , 
तिमिर निरंतर बना हुआ है घट नहीं रहा। 

 यह तामसी वृत्ति के उन दुष्टों की करतूत है, 
 जो राक्षस-दानव-नीच-पापी-असूय-भूत है। 

 भारत तुला पड़ा है यह अंधेरा मिटाने को, 
 पर लंबी दाढ़ी वाला लगा पड़ा है सूर्य ही डुबाने को।।


@patrakaar_writes

क् जब अस्ताचल की ओर जाता है , तब घना अंधेरा धरातल पर छा जाता है । घना अंधेरा छाता, पर चंद्र छटा बढ़ाता है, तारों से जैसे देव कोई, नित आकाश सजाता है। पर यह अंधेरा ऐसा आया कि छट ही नहीं रहा , तिमिर निरंतर बना हुआ है घट नहीं रहा। यह तामसी वृत्ति के उन दुष्टों की करतूत है, जो राक्षस-दानव-नीच-पापी-असूय-भूत है। भारत तुला पड़ा है यह अंधेरा मिटाने को, पर लंबी दाढ़ी वाला लगा पड़ा है सूर्य ही डुबाने को।। @patrakaar_writes

मैंने उन जामतियों पर कुछ लिखा, जो लगातार ही जानबूझकर कोरोना वैश्विक महामारी को भारत में फैला रहे है। भारत में सब्जी, राशन के सामान पर थूक कर बेच रहे हैं, ताकि भारत में कोरोना फैले।

न डॉक्टर का सम्मान कर रहे हैं, न पुलिस का,, बस लॉकडाउन की धज्जी उड़ा रहे हैं। Eisha mahimastan Devendra Kumar MONIKA SINGH Aaradhana Anand shivam tiwari Abhay Chauhan

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