क् जब अस्ताचल की ओर जाता है ,
तब घना अंधेरा धरातल पर छा जाता है ।
घना अंधेरा छाता, पर चंद्र छटा बढ़ाता है,
तारों से जैसे देव कोई, नित आकाश सजाता है।
पर यह अंधेरा ऐसा आया कि छट ही नहीं रहा ,
तिमिर निरंतर बना हुआ है घट नहीं रहा।
यह तामसी वृत्ति के उन दुष्टों की करतूत है,
जो राक्षस-दानव-नीच-पापी-असूय-भूत है।
भारत तुला पड़ा है यह अंधेरा मिटाने को,
पर लंबी दाढ़ी वाला लगा पड़ा है सूर्य ही डुबाने को।।
@patrakaar_writes
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