वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना | हिंदी Poetry

"वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ अपना हो या पराया या कोई किस्मत का मारा हर किसी का दर्द मैं बाँट लेता हूँ वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ जो हो किसी का सताया अपने से ही हो धोखा खाया बिन कहे हर बात को मैं जान लेता हूँ वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ दर्द वो जो कह न पायें मन ही मन में कसमसायें बिन कहे तड़पकर रह जायें उनके दिल की हर तड़प हर बात कहता हूँ वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ कोई रो रहा किसी के वियोग में कोई याद में आंसू बहा रहा है कोई प्यार में धोखा खाकर मन ही मन पछता रहा है उनके जज्बातों,भावनाओं को पढ़कर हर एक मन की बात लिखता हूँ वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ चाहते थे जो संग जीना ,संग मरना मानकर घरवालों का कहना त्याग कर अपनी खुशी को मजबूरीवश एकदूजे से दूर रहते हैं टूटा उनका हर एक ख्वाब लिखता हूँ वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ -रामजी तिवारी ©Ramji Tiwari"

 वेदना के स्वरों को साज देता हूँ 
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 
अपना हो या पराया या कोई किस्मत का मारा 
 हर किसी का दर्द मैं बाँट लेता हूँ
वेदना के स्वरों को साज देता हूँ
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 
जो हो किसी का सताया 
अपने से ही हो धोखा खाया 
बिन कहे हर बात को मैं जान लेता हूँ 
वेदना के स्वरों को साज देता हूँ 
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 
दर्द वो जो कह न पायें 
मन ही मन में कसमसायें 
बिन कहे तड़पकर रह जायें 
उनके दिल की हर तड़प हर बात कहता हूँ 
वेदना के स्वरों को साज देता हूँ 
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 
कोई रो रहा किसी के वियोग में 
कोई याद में आंसू बहा रहा है 
कोई प्यार में धोखा खाकर 
मन ही मन पछता रहा है
उनके जज्बातों,भावनाओं को पढ़कर 
हर एक मन की बात लिखता हूँ 
वेदना के स्वरों को साज देता हूँ 
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 
चाहते थे जो संग जीना ,संग मरना 
मानकर घरवालों का कहना 
त्याग कर अपनी खुशी को 
मजबूरीवश एकदूजे से दूर रहते हैं
टूटा उनका हर एक ख्वाब लिखता हूँ 
वेदना के स्वरों को साज देता हूँ 
मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ 

-रामजी तिवारी

©Ramji Tiwari

वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ अपना हो या पराया या कोई किस्मत का मारा हर किसी का दर्द मैं बाँट लेता हूँ वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ जो हो किसी का सताया अपने से ही हो धोखा खाया बिन कहे हर बात को मैं जान लेता हूँ वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ दर्द वो जो कह न पायें मन ही मन में कसमसायें बिन कहे तड़पकर रह जायें उनके दिल की हर तड़प हर बात कहता हूँ वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ कोई रो रहा किसी के वियोग में कोई याद में आंसू बहा रहा है कोई प्यार में धोखा खाकर मन ही मन पछता रहा है उनके जज्बातों,भावनाओं को पढ़कर हर एक मन की बात लिखता हूँ वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ चाहते थे जो संग जीना ,संग मरना मानकर घरवालों का कहना त्याग कर अपनी खुशी को मजबूरीवश एकदूजे से दूर रहते हैं टूटा उनका हर एक ख्वाब लिखता हूँ वेदना के स्वरों को साज देता हूँ मैं विरह की वेदना को आवाज देता हूँ -रामजी तिवारी ©Ramji Tiwari

#lonely

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