मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ टूटे-बिखरे शब्दों को म | हिंदी Poetry Video

"मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ टूटे-बिखरे शब्दों को मैं, जोड़ने को बेकरार हूँ। कैसे सब ये बिखर गये, देख कर मैं हैरान हूँ। अद्भुत इनकी शक्ति है, जानने को बेताब हूँ। जब न सुलझते हैं किस्से, मैं हो जाता बेहाल हूँ। अब जोड़ना है मुझे इन सबको, मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ। देख कर संकट इन शब्दों पर, मैं हो जाता परेशान हूँ। कुछ निरर्थक कुछ अपशब्द हैं, पढ़ सुन कर मैं उदास हूँ। चुभते भी हैं ये शब्द शूल से, उन शब्दों से मैं घायल हूँ। रच सकूँ उनको सार्थकमय, ऐसा मैं वो प्रकाश हूँ। शब्दों का ही बुनूँ माया जाल, मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ। कई विधा में रचे ये शब्द हैं, कुछ से मैं अनजान हूँ। दोहा सोरठा और बहुत हैं, कुछ का मैं ज्ञानवान हूँ। पर बिखरे जो भी शब्द हैं, उनका मैं तलबगार हूँ। क्या अर्थ निकले क्या न निकले, करता नहीं तिरस्कार हूँ। सही साँचे में उनको रचता, मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ। .................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit "

मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ टूटे-बिखरे शब्दों को मैं, जोड़ने को बेकरार हूँ। कैसे सब ये बिखर गये, देख कर मैं हैरान हूँ। अद्भुत इनकी शक्ति है, जानने को बेताब हूँ। जब न सुलझते हैं किस्से, मैं हो जाता बेहाल हूँ। अब जोड़ना है मुझे इन सबको, मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ। देख कर संकट इन शब्दों पर, मैं हो जाता परेशान हूँ। कुछ निरर्थक कुछ अपशब्द हैं, पढ़ सुन कर मैं उदास हूँ। चुभते भी हैं ये शब्द शूल से, उन शब्दों से मैं घायल हूँ। रच सकूँ उनको सार्थकमय, ऐसा मैं वो प्रकाश हूँ। शब्दों का ही बुनूँ माया जाल, मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ। कई विधा में रचे ये शब्द हैं, कुछ से मैं अनजान हूँ। दोहा सोरठा और बहुत हैं, कुछ का मैं ज्ञानवान हूँ। पर बिखरे जो भी शब्द हैं, उनका मैं तलबगार हूँ। क्या अर्थ निकले क्या न निकले, करता नहीं तिरस्कार हूँ। सही साँचे में उनको रचता, मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ। .................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit

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मैं शब्दों का शिल्पकार हूँ

टूटे-बिखरे शब्दों को मैं,
जोड़ने को बेकरार हूँ।
कैसे सब ये बिखर गये,
देख कर मैं हैरान हूँ।

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