लड़कियाँ ऐ लड़कियाँ बहुत बदनाम हैं उनके सर कई इल्ज़ | हिंदी कविता

"लड़कियाँ ऐ लड़कियाँ बहुत बदनाम हैं उनके सर कई इल्ज़ाम हैं पहले पिता फिर पति के नाम की मोहताज़ हैं, मायके से लेके ससुराल की दहलीज़ ही पहचान हैं लड़कियाँ अक्सर बदनाम हैं क्यूँकि वो आज भी गुमनाम हैं अरमान बेहिसाब हैं जिनके पर बस कुचले जाने के लिये ये वही हैं जो इस धरती पे पूजी जाती हैं लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा,काली इनके कई नाम हैं लक्ष्मीबाई, सरोजिनी, फुले जैसी महान हैं हर घर में ये विद्दमान हैं जो कहने को इंसान हैं पर जन्म लेने पर इनका घर कचरादान हैं नही इसे आज भी प्राप्त कोई सम्मान हैं बस इसका मन ही इसका शमशान हैं दफ़न कर देती है जहाँ अपनी हर ख़ुशी वो वहीं अब बचे हुए कुछ नामोनिशान हैं चुप है तो सब सही खोली जो जुबाँ तो बस इम्तिहान ही इम्तिहान हैं घर,समाज,अपने पराये सब करने लगते अपमान हैं सोच कर इस जन्म में समाज की ये सोच जो समझती हैं मुझे बोझ कहने को मजबूर हूँ सब सहने को भी मजबूर हूँ अगले जन्म मुझे न बिटिया दीजो न बिटिया कीजो बस बाबुल मुझे इंसान ही रहने दीजो ©hgdshots"

 लड़कियाँ

ऐ लड़कियाँ
बहुत बदनाम हैं 
उनके सर कई इल्ज़ाम हैं
पहले पिता फिर पति के नाम की 
मोहताज़ हैं,
मायके से लेके ससुराल की दहलीज़ ही पहचान हैं
लड़कियाँ अक्सर बदनाम हैं
क्यूँकि वो आज भी गुमनाम हैं
अरमान बेहिसाब हैं जिनके
पर बस कुचले जाने के लिये
ये वही हैं जो इस धरती पे
पूजी जाती हैं
लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा,काली इनके कई नाम हैं
लक्ष्मीबाई, सरोजिनी, फुले जैसी महान हैं
हर घर में ये विद्दमान हैं
जो कहने को इंसान हैं
पर जन्म लेने पर इनका घर कचरादान हैं
नही इसे आज भी प्राप्त कोई सम्मान हैं
बस इसका मन ही इसका शमशान हैं
दफ़न कर देती है जहाँ अपनी हर ख़ुशी वो
वहीं अब बचे हुए कुछ नामोनिशान हैं 
चुप है तो सब सही 
खोली जो जुबाँ तो बस इम्तिहान ही इम्तिहान हैं
घर,समाज,अपने पराये सब करने लगते अपमान हैं
सोच कर इस जन्म में समाज की ये सोच
जो समझती हैं मुझे बोझ
कहने को मजबूर हूँ
सब सहने को भी मजबूर हूँ
अगले जन्म मुझे न बिटिया दीजो न बिटिया कीजो 
बस बाबुल मुझे इंसान ही रहने दीजो

©hgdshots

लड़कियाँ ऐ लड़कियाँ बहुत बदनाम हैं उनके सर कई इल्ज़ाम हैं पहले पिता फिर पति के नाम की मोहताज़ हैं, मायके से लेके ससुराल की दहलीज़ ही पहचान हैं लड़कियाँ अक्सर बदनाम हैं क्यूँकि वो आज भी गुमनाम हैं अरमान बेहिसाब हैं जिनके पर बस कुचले जाने के लिये ये वही हैं जो इस धरती पे पूजी जाती हैं लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा,काली इनके कई नाम हैं लक्ष्मीबाई, सरोजिनी, फुले जैसी महान हैं हर घर में ये विद्दमान हैं जो कहने को इंसान हैं पर जन्म लेने पर इनका घर कचरादान हैं नही इसे आज भी प्राप्त कोई सम्मान हैं बस इसका मन ही इसका शमशान हैं दफ़न कर देती है जहाँ अपनी हर ख़ुशी वो वहीं अब बचे हुए कुछ नामोनिशान हैं चुप है तो सब सही खोली जो जुबाँ तो बस इम्तिहान ही इम्तिहान हैं घर,समाज,अपने पराये सब करने लगते अपमान हैं सोच कर इस जन्म में समाज की ये सोच जो समझती हैं मुझे बोझ कहने को मजबूर हूँ सब सहने को भी मजबूर हूँ अगले जन्म मुझे न बिटिया दीजो न बिटिया कीजो बस बाबुल मुझे इंसान ही रहने दीजो ©hgdshots

#Winter

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