जहां दिल से लेकर घर तक हर एक शै पत्थर होता है, एक | हिंदी कविता

"जहां दिल से लेकर घर तक हर एक शै पत्थर होता है, एक बेमंज़िल सा कारवाँ सड़कों पर रातभर होता है। जहां ठहरना ज़िन्दगी नहीं महज़ भागने में ही बसर होता है। इस ज़मीं पर ऐसे कुनबे का नाम शहर होता है। fb.com/alivemalendra"

 जहां दिल से लेकर घर तक
हर एक शै पत्थर होता है,

एक बेमंज़िल सा कारवाँ
सड़कों पर रातभर होता है।

जहां ठहरना ज़िन्दगी नहीं
महज़ भागने में ही बसर होता है।

इस ज़मीं पर
ऐसे कुनबे का नाम शहर होता है।

fb.com/alivemalendra

जहां दिल से लेकर घर तक हर एक शै पत्थर होता है, एक बेमंज़िल सा कारवाँ सड़कों पर रातभर होता है। जहां ठहरना ज़िन्दगी नहीं महज़ भागने में ही बसर होता है। इस ज़मीं पर ऐसे कुनबे का नाम शहर होता है। fb.com/alivemalendra

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