जहां दिल से लेकर घर तक
हर एक शै पत्थर होता है,
एक बेमंज़िल सा कारवाँ
सड़कों पर रातभर होता है।
जहां ठहरना ज़िन्दगी नहीं
महज़ भागने में ही बसर होता है।
इस ज़मीं पर
ऐसे कुनबे का नाम शहर होता है।
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ज़िन्दगी जीने के दो तरीके हैं।
या तो आप लोगों को बताते हैं कि आप क्या हैं,
या लोग आपको बताते रहते हैं कि आप क्या हैं !!
Choice is yours !!
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आज का ज्ञान हम अपनी ज़िंदगी का एक बड़ा हिस्सा
उन रास्तों पर गुजार देते हैं,
जिनका हमारी मंज़िलों से
कोई सरोकार ही नहीं होता।।
_मलेन्द्र
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