दूसरों पे लोग अक्सर, कसते है क्यों फब्तियां,
देखते है नहीं वो ,खुद अपनी क्यों अठखेलियां।
सबमें है एक न एक दुर्गुण ,कौन यहां निर्दोष है,
फिर केवल ये दुसरों ,की गिनते है क्यों गलतियां।
#अनुकीकलमसे✍️
©Anamika Sengar Rathore
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