तुझ बिन लगे ना दिन अब अपना सा, कैसे रात निकाल लू | हिंदी Shayari

"तुझ बिन लगे ना दिन अब अपना सा, कैसे रात निकाल लू खुली है आँखे अंधेरे में कैसे रात मान लू, एकटक नज़र देखे तेरी तस्वीर को कैसे इस हालात को इत्तफाक मान लू, खोई है बाते तेरे इर्द गिर्द कैसे अब बातो पे कयास बांध लू तुझे सोचता रहू दिन रात पर कैसे अब इसे निकला दिन मान लू डूब कर निकलती है पलके दरिया से कैसे इसे पानी मान लू भीगे सिर्फ पलके ही तो में मन की बात सच मान लू सूखा है गला अभी तेरे नाम की जुबा पर माला डाल लू तेरे बिन लगे ना कुछ अपना बता कैसे रात निकाल लू ©poetraja"

 तुझ बिन लगे ना दिन अब अपना सा, 
कैसे रात निकाल लू
खुली है आँखे अंधेरे में कैसे रात मान लू,
एकटक नज़र देखे तेरी तस्वीर को कैसे 
इस हालात को इत्तफाक मान लू,
खोई है बाते तेरे इर्द गिर्द कैसे अब बातो पे कयास बांध लू 
तुझे सोचता रहू दिन रात पर कैसे अब इसे निकला दिन मान लू
डूब कर निकलती है पलके दरिया से कैसे इसे पानी मान लू
भीगे सिर्फ पलके ही तो में मन की बात सच मान लू
सूखा है गला अभी तेरे नाम की जुबा पर माला डाल लू
तेरे बिन लगे ना कुछ अपना बता कैसे रात निकाल लू

©poetraja

तुझ बिन लगे ना दिन अब अपना सा, कैसे रात निकाल लू खुली है आँखे अंधेरे में कैसे रात मान लू, एकटक नज़र देखे तेरी तस्वीर को कैसे इस हालात को इत्तफाक मान लू, खोई है बाते तेरे इर्द गिर्द कैसे अब बातो पे कयास बांध लू तुझे सोचता रहू दिन रात पर कैसे अब इसे निकला दिन मान लू डूब कर निकलती है पलके दरिया से कैसे इसे पानी मान लू भीगे सिर्फ पलके ही तो में मन की बात सच मान लू सूखा है गला अभी तेरे नाम की जुबा पर माला डाल लू तेरे बिन लगे ना कुछ अपना बता कैसे रात निकाल लू ©poetraja

तुझ बिन लगे ना दिन अब अपना सा,
कैसे रात निकाल लू
खुली है आँखे अंधेरे में कैसे रात मान लू,
एकटक नज़र देखे तेरी तस्वीर को कैसे
इस हालात को इत्तफाक मान लू,
खोई है बाते तेरे इर्द गिर्द कैसे अब बातो पे कयास बांध लू
तुझे सोचता रहू दिन रात पर कैसे अब इसे निकला दिन मान लू
डूब कर निकलती है पलके दरिया से कैसे इसे पानी मान लू

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