"दिल को जो भाए वो हुनर लेंगे हम
मर्जी हो हमारी वही गुज़र लेंगे हम
इतना हंगामा न बरपा ऐ ज़माना
चुप चाप यहीं कहीं मर लेंगे हम
खाली हाथ जाने में तो शर्म आएगी
नाकामियों से ही झोली भर लेंगे हम
कुछ बड़ा करने की चाह बहुत है
पर चाह कर भी क्या कर लेंगे हम
जब जीने का मन बना ही लिया है
तो किसी हाल में बसर कर लेंगे हम
इस सर्दी को चिताओं गर्मी मारेगी
श्मशान के पास ही में घर लेंगे हम
हमारा हिसाब क्या लेंगे ऊपरवाले
वो मिले तो उनकी खबर लेंगे हम
©Priyanshu Singh"