हमें अब और कितना दौड़ना है यकीनन खुद से ज्यादा दौड | हिंदी Shayari

"हमें अब और कितना दौड़ना है यकीनन खुद से ज्यादा दौड़ना है मिली हैं मंज़िलें उनको जहाँ में जिन्हें मालूम ये था दौड़ना है नहीं आशां रहा अब घर चलाना जहाँ आराम आया दौड़ना है मेरी यादों में बचपन खेल सा है फ़क़त बस्ता उठाया दौड़ना है बुजुर्गों की रवानी पर जहन में वही अपना पराया दौड़ना है जहाँ से दौड़ आया था कभी में मुझे उस घर का रस्ता दौड़ना है चलो चलते है अब हम फ़िर मिलेंगे जरुरी काम आया दौड़ना है जहाँ आयेगा ऊपर से बुलावा यूँ माटी कर के काया दौड़ना है ©Dev Sharma"

 हमें अब और कितना दौड़ना है
यकीनन खुद से ज्यादा दौड़ना है

मिली हैं मंज़िलें उनको जहाँ में
जिन्हें मालूम ये था दौड़ना है

नहीं आशां रहा अब घर चलाना
जहाँ आराम आया दौड़ना है

मेरी यादों में बचपन खेल सा है
फ़क़त बस्ता उठाया दौड़ना है

बुजुर्गों की रवानी पर जहन में
वही अपना पराया दौड़ना है

जहाँ से दौड़ आया था कभी में
मुझे उस घर का रस्ता दौड़ना है

चलो चलते है अब हम फ़िर मिलेंगे
जरुरी काम आया दौड़ना है

जहाँ आयेगा ऊपर से बुलावा
यूँ माटी कर के काया दौड़ना है

©Dev Sharma

हमें अब और कितना दौड़ना है यकीनन खुद से ज्यादा दौड़ना है मिली हैं मंज़िलें उनको जहाँ में जिन्हें मालूम ये था दौड़ना है नहीं आशां रहा अब घर चलाना जहाँ आराम आया दौड़ना है मेरी यादों में बचपन खेल सा है फ़क़त बस्ता उठाया दौड़ना है बुजुर्गों की रवानी पर जहन में वही अपना पराया दौड़ना है जहाँ से दौड़ आया था कभी में मुझे उस घर का रस्ता दौड़ना है चलो चलते है अब हम फ़िर मिलेंगे जरुरी काम आया दौड़ना है जहाँ आयेगा ऊपर से बुलावा यूँ माटी कर के काया दौड़ना है ©Dev Sharma

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