रिश्तों के उलझन में उलझे जग के सब नर नारी हैं, पर | हिंदी Shayari

"रिश्तों के उलझन में उलझे जग के सब नर नारी हैं, पर सुना है आज भी मित्रता सब रिश्तों पर भारी है। ©shrikant yadav"

 रिश्तों के उलझन में उलझे
 जग के सब नर नारी हैं,
पर सुना है आज भी मित्रता 
सब रिश्तों पर भारी है।

©shrikant yadav

रिश्तों के उलझन में उलझे जग के सब नर नारी हैं, पर सुना है आज भी मित्रता सब रिश्तों पर भारी है। ©shrikant yadav

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