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बचाखुचा जो कुछ था मैं ही था , उन ख्वाहिशों के बाद तन्हा मैं ही था।
shrikant yadav
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White सुबह हुई और आंख खुल गई, मौत के हाथ से देखो जिंदगी आज फिर फिसल गई। ©shrikant yadav
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एक रात के साए में एक दिन पलता है, भोर समेट कर उजियारा अंधेरा शामों में भरता है। ये दोपहर के सन्नाटों में इन रात की तन्हाई में, बनकर ख्वाब आंखों का फिर हमें कोई ठगता है। सुबह से जो उठा है तो रात होने तक चला, एक पल का था जो मसला अब दिन रात चलता है। ©shrikant yadav
13 Love
जब हंसाती है बहुत हंसाती जब रुलाती है बहुत रुलाती है, ये ज़िन्दगी है जनाब कभी कभी यूं ही खामखां गले भी पड़ जाती है। ©shrikant yadav
होते होते ख़त्म कहानी कोई नया मोड़ आ ही जाता है, जीते जीते जिंदगी ऐ मौत तेरा कोई तोड़ आ ही जाता है । ©shrikant yadav
किसी कील के हाथ लग भी जाए जो हथौड़ी, ठुकने की आदत कील ने फिर भी न कभी छोड़ी। ©shrikant yadav
11 Love
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