*हिंदी दिवस* मैं हिंदी हूँ, आज कल वीरान सी हो गई ह

"*हिंदी दिवस* मैं हिंदी हूँ, आज कल वीरान सी हो गई हूँ। मेरी सौतन अंग्रेजी से परेशान सी हो गई हूं। मेरे बेटो को दूसरी माँ बड़ी प्यारी है। इसलिए ,अब खुद के देश मे अनजान सी हो गई हूँ। बस नाम की मातृ भाषा बन कर रह गई , खुद के बेटो के लबो पर बदनाम सी हों गई हूँ। मुझे बोलने में शर्म महसूस होने लगी है, शायद अब सुबह से शाम सी हो गई हूं। दफ्तरी काम मे भी अब मुझे कहा पूछा जाता है, बस हर वक़्त सौतन को पूजा जाता है। बच्चा अंग्रेजी माध्यम में पढ़े तो शान होगी। तभी आगे जाकर उसकी पहचान होगी। पर भूल गया तू इंसान, हिंदी-संस्कृत से दुनिया मे तेरी पहचान है। इस सभ्यता को पूजता खुद भगवान है। हिंदी को न उपेक्षित कर, तू खुद को भुला देगा। जिस थाली में खाया है क्या उसको ही दगा देगा। हिंदी है हम बस हिंदुस्तान में रहेंगे। हिंदी पढ़ेंगे हिंदी जियेंगे बस जय हिन्द कहेंगे। ©Vijay Milind"

 *हिंदी दिवस*
मैं हिंदी हूँ,
आज कल वीरान सी हो गई हूँ।
मेरी सौतन अंग्रेजी से परेशान सी हो गई हूं।
मेरे बेटो को दूसरी माँ बड़ी प्यारी है।
इसलिए ,अब खुद के देश मे अनजान सी हो गई हूँ।
बस नाम की मातृ भाषा बन कर रह गई ,
खुद के बेटो के लबो पर बदनाम सी हों गई हूँ।
मुझे बोलने में शर्म महसूस होने लगी है,
शायद  अब सुबह से शाम सी हो गई हूं।
दफ्तरी काम मे भी अब मुझे कहा पूछा जाता है,
बस हर वक़्त सौतन को पूजा जाता है।
बच्चा अंग्रेजी माध्यम में पढ़े तो शान होगी।
तभी आगे जाकर  उसकी पहचान होगी।
पर भूल गया तू  इंसान,
 हिंदी-संस्कृत से दुनिया मे तेरी पहचान है।
 इस सभ्यता को पूजता खुद भगवान है।
 हिंदी को न उपेक्षित कर, तू खुद को भुला देगा।
जिस थाली में खाया है क्या उसको  ही दगा देगा।
हिंदी है हम बस हिंदुस्तान में रहेंगे।
हिंदी पढ़ेंगे हिंदी जियेंगे बस जय हिन्द कहेंगे।

©Vijay Milind

*हिंदी दिवस* मैं हिंदी हूँ, आज कल वीरान सी हो गई हूँ। मेरी सौतन अंग्रेजी से परेशान सी हो गई हूं। मेरे बेटो को दूसरी माँ बड़ी प्यारी है। इसलिए ,अब खुद के देश मे अनजान सी हो गई हूँ। बस नाम की मातृ भाषा बन कर रह गई , खुद के बेटो के लबो पर बदनाम सी हों गई हूँ। मुझे बोलने में शर्म महसूस होने लगी है, शायद अब सुबह से शाम सी हो गई हूं। दफ्तरी काम मे भी अब मुझे कहा पूछा जाता है, बस हर वक़्त सौतन को पूजा जाता है। बच्चा अंग्रेजी माध्यम में पढ़े तो शान होगी। तभी आगे जाकर उसकी पहचान होगी। पर भूल गया तू इंसान, हिंदी-संस्कृत से दुनिया मे तेरी पहचान है। इस सभ्यता को पूजता खुद भगवान है। हिंदी को न उपेक्षित कर, तू खुद को भुला देगा। जिस थाली में खाया है क्या उसको ही दगा देगा। हिंदी है हम बस हिंदुस्तान में रहेंगे। हिंदी पढ़ेंगे हिंदी जियेंगे बस जय हिन्द कहेंगे। ©Vijay Milind

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