#दियारा--बाढ़ के मैदान में निर्मित एक स्थलरूप। सोचत | हिंदी कविता Video

#दियारा--बाढ़ के मैदान में निर्मित एक स्थलरूप।
सोचता हूँ #मोहब्बत से अब किनारा कर लूँ।
खुद को #खुद से ही अब गवारा कर लूँ।।

कब तलक खुद को भटकाते फिरे हम ,
अपनी ही #साँसों को अब सहारा कर लूँ।।

आसान नहीं है यहां लोगों के संग जीना,

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