$ubha$

$ubha$"शुभ" Lives in Allahabad, Uttar Pradesh, India

🙏🌹STUDENT🌹🙏 LEARNER...✍️ 📌All poetry copyright✍️ मुझे नहीं पता.... वफ़ा के मायने क्या-क्या हैं....?? मुझे जो भी प्यार से पुकारता है....... उसका हो जाता हूँ मैं......🤟.. #Uशुभ

  • Latest
  • Popular
  • Repost
  • Video
#जिंदगी #Uशुभ #Sadmusic #foryou  सब कुछ है, फिर भी कुछ कमी सी है,

जाने कैसी बेचैनी है, जिंदगी की प्यास में।।

#Uशुभ
#कभी_मिल_तो_पूंछू #Uशुभ #Quotes  कभी मिल ,तो तुझसे पूंछू
इक बात जिंदगी।
तेरे नखरों का क्या है 
ये राज़ जिंदगी ?
भोला–भाला सा है जो,
इक पल का ये जीवन;
उसको भी तू नहीं आती 
क्यूं रास जिंदगी।
न जलते हैं न बुझते हैं 
ख्वाहिशों के चिराग़। 
मध्यम लौ के मानिन्द ,
बस फड़फड़ाती है क्यूं सांस ?
सुकूं भी नहीं है, 
उलझने भी नहीं है।
सच भी नही है,
कुछ झूठ भी नही है।
इनके दरमियां क्यूं है ,
फिर आस जिंदगी ?
तेरे नखरों का क्या है
ये राज़ जिंदगी..........?

©$ubha$"शुभ"

🌱🌱🙏🙏🙏🌱🌱. #Uशुभ#कभी_मिल_तो_पूंछू

327 View

तुम्हारे भुलाने से भी जो न भूले वो बात हूं मैं। तुम्हारे दिल के एहसासों का नया जज़्बात हूं मैं। अगर यकीं न आए तो थोड़ा सोच के देखो, अकेले में जिसे सोचती हो वही याद हूं मैं।। ©$ubha$"शुभ"

#एहसास #Uशुभ #याद  तुम्हारे भुलाने से भी जो न भूले वो बात हूं मैं।
तुम्हारे दिल के एहसासों का नया जज़्बात हूं मैं।
अगर यकीं न आए तो थोड़ा सोच के देखो,
अकेले में जिसे सोचती हो वही याद हूं मैं।।

©$ubha$"शुभ"

*** मुझमें रह जाना *** इस बार तुम मुझसे कुछ ऐसे मिल जाना। तुम मुझको रख लेना या मुझमें रह जाना। दर्द जुदाई का मुझसे अब सहा नही जाता। अपना हाल ए दिल अब कहा नहीं जाता। कभी ख्वाब में आकर तुम नई यादें दे जाना.. सांसें रखी हैं गिरवी अब तो तेरे नाम से। आ के छुड़ा दो तुम इन्हें,दे के इनके दाम से। घुट न जाए दम कहीं छोटी छोटी किश्तों में। बंट न जाएं हम कहीं छोटे छोटे हिस्सों में। वक्त निकाल के तुम इन्हें नई राहें दे जाना.. गुपचुप खामोश अब हम रहने लगे हैं। पुरानी यादों के दरम्यान थकने लगे हैं। तन्हाई की खामोशी अब भारी लगते हैं। तेरे यादों के बोझ से हम दबने लगते हैं। इस जहां से हम चले तुम भी जल्दी आना... ©$ubha$"शुभ"

#मिल_जाना #Uशुभ #soulmate #foryou  *** मुझमें रह जाना ***
इस बार तुम मुझसे कुछ ऐसे मिल जाना।
तुम मुझको रख लेना या मुझमें रह जाना।
दर्द जुदाई का मुझसे अब सहा नही जाता।
अपना हाल ए दिल अब कहा नहीं जाता।
कभी ख्वाब में आकर तुम नई यादें दे जाना..

सांसें रखी हैं गिरवी अब तो तेरे नाम से।
आ के छुड़ा दो तुम इन्हें,दे के इनके दाम से।
घुट न जाए दम कहीं छोटी छोटी किश्तों में।
बंट न जाएं हम कहीं छोटे छोटे हिस्सों में।
वक्त निकाल के तुम इन्हें नई राहें दे जाना..

गुपचुप खामोश अब हम रहने लगे हैं।
पुरानी यादों के दरम्यान थकने लगे हैं।
तन्हाई की खामोशी अब भारी लगते हैं।
तेरे यादों के बोझ से हम दबने लगते हैं।
इस जहां से हम चले तुम भी जल्दी आना...

©$ubha$"शुभ"

** दर–ब–दर *** दर–ब–दर फिर रहे हैं तेरे फिराक़ में, पल पल जल रहे हैं इश्क की आग में, क़िस्मत की लकीरें कुछ यूं खफा हुईं, एक मुझे छोड़ सभी भीगें बरसात में। यादों के महल, जो थे मिल के बनाए, ढह नहीं पाये वक्त गुजरने के साथ में। सांसों के लरजने की शिकायत न रही, वो भी चल रहीं हैं आज कल आज में। सब कुछ है ,फिर भी, कुछ कमी सी है, जाने कैसी बेचैनी है जिंदगी की प्यास में। ©$ubha$"शुभ"

#AloneInCity #Uशुभ #foryou  ** दर–ब–दर ***

दर–ब–दर फिर रहे हैं तेरे फिराक़ में,
पल पल जल रहे हैं इश्क की आग में,

क़िस्मत की लकीरें कुछ यूं खफा हुईं,
एक मुझे छोड़ सभी भीगें बरसात में।

यादों के महल, जो थे मिल के बनाए,
ढह नहीं पाये वक्त गुजरने के साथ में।

सांसों के लरजने की शिकायत न रही,
वो भी चल रहीं हैं आज कल आज में।

सब कुछ है ,फिर भी, कुछ कमी सी है,
जाने कैसी बेचैनी है जिंदगी की प्यास में।

©$ubha$"शुभ"

क्यूं रूठी तुम,क्यूं छूटी तुम। न समझा मैं,न समझी तुम। हो के हमदम, संग थे हरदम। आया सावन पर सूखे हम। मै डाल–डाल ,तुम पात–पात, थी कौन वजह, के चूकी तुम।। अर्घ्य दे रही हैं आंखें हरपल। लम्हों में सिमट रही हैं सांसें हरपल। जो की थी वादें ,वो बन के यादें, करती हैं अक्सर मेरी तनहा रातें। एहसासों मे हो क्यों फिर शामिल तुम, क्यों रूठी तुम,क्यों छूटी तुम, न समझा मैं न समझी तुम।। ©$ubha$"शुभ"

#क्यों_छूटी_तुम #Hopeless #foryou  क्यूं रूठी तुम,क्यूं छूटी तुम।
न समझा मैं,न समझी तुम।
हो के हमदम, संग थे हरदम।
आया सावन पर सूखे हम।
मै डाल–डाल ,तुम पात–पात,
थी कौन वजह, के चूकी तुम।।

अर्घ्य दे रही  हैं  आंखें हरपल।
लम्हों में सिमट रही हैं सांसें हरपल।
जो की थी वादें ,वो बन के यादें,
करती हैं अक्सर मेरी तनहा रातें।
एहसासों मे हो क्यों फिर शामिल तुम,
क्यों रूठी तुम,क्यों छूटी तुम,
न समझा मैं न समझी तुम।।

©$ubha$"शुभ"
Trending Topic