32 साल से भुला दी गईं आवाज हु मैं वादियों में दी ग | हिंदी कविता

"32 साल से भुला दी गईं आवाज हु मैं वादियों में दी गई आहुति लोकतंत्र पर लगा कलंक का ताज हु मै कश्यप का तप , हवन की आग वेदों का ज्ञान पंडितो के घर का चिराग इन बुझी हुइ राखो का अंबार हु मैं डरे हुए समुदाय के डर का शिकार हूं मैं ©Prabhash Chandra jha"

 32 साल से भुला दी गईं आवाज हु मैं
वादियों में दी गई आहुति
लोकतंत्र पर लगा कलंक का ताज हु मै 

कश्यप का तप , हवन की आग
वेदों का ज्ञान पंडितो के घर का चिराग
इन बुझी हुइ राखो का अंबार हु मैं
डरे हुए समुदाय के डर का शिकार हूं मैं

©Prabhash Chandra jha

32 साल से भुला दी गईं आवाज हु मैं वादियों में दी गई आहुति लोकतंत्र पर लगा कलंक का ताज हु मै कश्यप का तप , हवन की आग वेदों का ज्ञान पंडितो के घर का चिराग इन बुझी हुइ राखो का अंबार हु मैं डरे हुए समुदाय के डर का शिकार हूं मैं ©Prabhash Chandra jha

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