हिंदी मेरी पहचान है, हिंदी दिवस हिन्दी भारत माँ का गौरव, पुण्य भाव समर्पण हैं
जन-जन की बोली हिन्दी, समरसता का दर्पण हैं
चाणक्य-सी हैं जटिल भी, हैं कबीर-सी सरल भी
चट्टानों सी हैं कठोर भी, हैं करूणा-सी तरल भी
संज्ञा, समास तथा सर्वनाम, शोभा बढ़ाता अलंकार
रस घोलते वीर, वीभत्स, हास्य, करूण व श्रृंगार
छंद, गीत, मुक्तक, कविता, सुनकर मन कमल खिलता
संचारित होती मधुर लहर, चंचल मन को सुख मिलता
हिन्दी से सुभद्रा- महादेवी हिन्दी से पंत निराला भी
हिन्दी ही नीरज की वाणी, बच्चन की मधुशाला भी
हिन्दी स्वर हैं गायन का , हिन्दी मनभाव की परिभाषा
हिन्दी हैं माँ का वन्दन, हिन्दी कविमन की अभिलाषा
यदि भारती माँ दुल्हन, दुल्हन के मस्तक की बिंदी
हिंदी से हिन्दुस्तान हैं, हम सबको प्यारी हैं हिन्दी
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