होली (दोहे)
होली का यह पर्व है, जिस पर हमको मान।
कहते हैं सज्जन सभी, ये अपनी पहचान।।
मिल जुल कर हम सब रहें, देता है ये ज्ञान।
बैर भाव छोड़ो सभी, कर सबका सम्मान।।
हँसी खुशी सब खेलते, हैं रंगों के साथ।
मिल जुल कर सब रंगते , ले रंगों में हाथ।।
फागुन का यह मास है, रंगों का त्यौहार।
दिल न दुखाना तुम कभी, है ये ही संस्कार।।
मात पिता के छू चरण, बन जाओ तुम नेक।
ईश ज्ञान देते यही, फिर मिलती है टेक।।
बहुत बहुत शुभकामना, देते हैं हम आज।
खुशी मनाओ झूम के, हो सुंदर सब काज।।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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होली (दोहे)
होली का यह पर्व है, जिस पर हमको मान।
कहते हैं सज्जन सभी, ये अपनी पहचान।।
मिल जुल कर हम सब रहें, देता है ये ज्ञान।