उसूल दुनिया का है कि चढ़ते सूरज को सलाम करती है । य | हिंदी कविता

"उसूल दुनिया का है कि चढ़ते सूरज को सलाम करती है । यूँ तो छुपते हुए सूरज की भी लाली कुछ कम नही होती। ©ख़ुश्क आँसू"

 उसूल दुनिया का है कि चढ़ते सूरज को सलाम करती है ।
यूँ तो छुपते हुए सूरज की भी लाली  कुछ कम नही होती।

©ख़ुश्क आँसू

उसूल दुनिया का है कि चढ़ते सूरज को सलाम करती है । यूँ तो छुपते हुए सूरज की भी लाली कुछ कम नही होती। ©ख़ुश्क आँसू

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