नन्दी से विश्वेश्वर का विरह अभी शेष है केस है कचहर

"नन्दी से विश्वेश्वर का विरह अभी शेष है केस है कचहरी में,जिरह अभी शेष है कलियुगी प्रपंच देखो ,पाप कितना प्रबल हुआ निज धाम हेतु बेबस देखो विष्णु और महेश है पूछते है लोग के भगवान है तो  गौण क्यों अगर धाम इनके है तो सदियों धरा ये मौन क्यों क्यो रामलला ने अवध में बाबरी निर्माण सहा ज्ञानवापी कूप में हूँ मैं , भोलेनाथ तुमने क्यों ना कहा तुम तो स्वयं हो गंगाधर जब चाहे बाहर आ सकते थे जाने ऐसे कितने कूप तुम में समा सकते थे ये कैसी लीला है भगवन ,कैसे समझू मै मूढ़मति बेबस है पालनहार जगत के,काल चले कैसी ये गति।। ©कपिल"

 नन्दी से विश्वेश्वर का विरह अभी शेष है
केस है कचहरी में,जिरह अभी शेष है
कलियुगी प्रपंच देखो ,पाप कितना प्रबल हुआ
निज धाम हेतु बेबस देखो विष्णु और महेश है
पूछते है लोग के भगवान है तो  गौण क्यों
अगर धाम इनके है तो सदियों धरा ये मौन क्यों
क्यो रामलला ने अवध में बाबरी निर्माण सहा
ज्ञानवापी कूप में हूँ मैं , भोलेनाथ तुमने क्यों ना कहा
तुम तो स्वयं हो गंगाधर जब चाहे बाहर आ सकते थे
जाने ऐसे कितने कूप तुम में समा सकते थे
ये कैसी लीला है भगवन ,कैसे समझू मै मूढ़मति
बेबस है पालनहार जगत के,काल चले कैसी ये गति।।

©कपिल

नन्दी से विश्वेश्वर का विरह अभी शेष है केस है कचहरी में,जिरह अभी शेष है कलियुगी प्रपंच देखो ,पाप कितना प्रबल हुआ निज धाम हेतु बेबस देखो विष्णु और महेश है पूछते है लोग के भगवान है तो  गौण क्यों अगर धाम इनके है तो सदियों धरा ये मौन क्यों क्यो रामलला ने अवध में बाबरी निर्माण सहा ज्ञानवापी कूप में हूँ मैं , भोलेनाथ तुमने क्यों ना कहा तुम तो स्वयं हो गंगाधर जब चाहे बाहर आ सकते थे जाने ऐसे कितने कूप तुम में समा सकते थे ये कैसी लीला है भगवन ,कैसे समझू मै मूढ़मति बेबस है पालनहार जगत के,काल चले कैसी ये गति।। ©कपिल

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