कपिल

कपिल Lives in Haridwar, Uttarakhand, India

कटे मांझे सी है शख्सियत अपनी,,,,,जिसने भी चाहा तोड़ के लूट लिया !!!!

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बेजार किया खुदको जमाने के आगे मैने तेरे लिए, होके बेपरवाह अपना रुतबा, अपना रूआब जला दिया। थक गया था बरसो से तेरी वापसी की राह तकते तकते मैं, दिल को अनसुना कर आज किताबो में रखा तेरा वो गुलाब जला दिया।। अश्कों से भर आई थी आंखे मेरी, जब एक एक कर जली पंखुड़ियां उसकी, लगा के जैसे मैंने आज बरसो से संजो के रखा अपना वो ख्वाब जला दिया।। कुछ कम जानते है वो लोग जो कहते है के सूखता नही है अशिको की आंखो का पानी, देख कपिल उसकी बेरुखी ने तेरी आंखों का आब जला दिया।। ©कपिल

#शायरी #जलता  बेजार किया खुदको जमाने के आगे मैने तेरे लिए,
होके बेपरवाह अपना रुतबा, अपना रूआब जला दिया।
थक गया था बरसो से तेरी वापसी की राह तकते तकते मैं,
दिल को अनसुना कर आज किताबो में रखा तेरा वो गुलाब जला दिया।।
अश्कों से भर आई थी आंखे मेरी, जब एक एक कर जली पंखुड़ियां उसकी,
लगा के जैसे मैंने आज बरसो से संजो के रखा अपना वो ख्वाब जला दिया।।
कुछ कम जानते है वो लोग जो कहते है के सूखता नही है अशिको की आंखो का पानी,
देख कपिल उसकी बेरुखी ने तेरी आंखों का आब जला दिया।।

©कपिल

#जलता गुलाब

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#शायरी #Wapas  White छोड़ दी है तेरे वापस आने की आरजू इस जन्म में हमने
तुझे अपनी लकीरों में लिखवाकर ही अगला जन्म लेंगे अब।।

©कपिल

#Wapas aa ja

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#विचार #Holi  मेरी अंखियां प्यासी है तुम्हारे दर्शन को 
अब नीर भी इनका सूख चुका
ये लता वृक्ष ये पुष्प ब्रज के
हर कोई बाट तुम्हारी देख चुका
बीत गया है बसंत मगर तुम बिन ब्रज में रंग नहीं
कोई उत्सव हर्ष उल्लास नही
जीवन में कोई उमंग नही
बेरंग रहेगी हर होली जब तक तुम ना रंग लगाओगे
फागुन आया है कान्हा कहो इस बार तुम आओगे
या फिर हर बारी के जैसे संदेशा मात्र भिजवाओगे।।

©कपिल

#Holi

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नन्दी से विश्वेश्वर का विरह अभी शेष है केस है कचहरी में,जिरह अभी शेष है कलियुगी प्रपंच देखो ,पाप कितना प्रबल हुआ निज धाम हेतु बेबस देखो विष्णु और महेश है पूछते है लोग के भगवान है तो  गौण क्यों अगर धाम इनके है तो सदियों धरा ये मौन क्यों क्यो रामलला ने अवध में बाबरी निर्माण सहा ज्ञानवापी कूप में हूँ मैं , भोलेनाथ तुमने क्यों ना कहा तुम तो स्वयं हो गंगाधर जब चाहे बाहर आ सकते थे जाने ऐसे कितने कूप तुम में समा सकते थे ये कैसी लीला है भगवन ,कैसे समझू मै मूढ़मति बेबस है पालनहार जगत के,काल चले कैसी ये गति।। ©कपिल

#पौराणिककथा  नन्दी से विश्वेश्वर का विरह अभी शेष है
केस है कचहरी में,जिरह अभी शेष है
कलियुगी प्रपंच देखो ,पाप कितना प्रबल हुआ
निज धाम हेतु बेबस देखो विष्णु और महेश है
पूछते है लोग के भगवान है तो  गौण क्यों
अगर धाम इनके है तो सदियों धरा ये मौन क्यों
क्यो रामलला ने अवध में बाबरी निर्माण सहा
ज्ञानवापी कूप में हूँ मैं , भोलेनाथ तुमने क्यों ना कहा
तुम तो स्वयं हो गंगाधर जब चाहे बाहर आ सकते थे
जाने ऐसे कितने कूप तुम में समा सकते थे
ये कैसी लीला है भगवन ,कैसे समझू मै मूढ़मति
बेबस है पालनहार जगत के,काल चले कैसी ये गति।।

©कपिल

नन्दी से विश्वेश्वर का विरह अभी शेष है केस है कचहरी में,जिरह अभी शेष है कलियुगी प्रपंच देखो ,पाप कितना प्रबल हुआ निज धाम हेतु बेबस देखो विष्णु और महेश है पूछते है लोग के भगवान है तो  गौण क्यों अगर धाम इनके है तो सदियों धरा ये मौन क्यों क्यो रामलला ने अवध में बाबरी निर्माण सहा ज्ञानवापी कूप में हूँ मैं , भोलेनाथ तुमने क्यों ना कहा तुम तो स्वयं हो गंगाधर जब चाहे बाहर आ सकते थे जाने ऐसे कितने कूप तुम में समा सकते थे ये कैसी लीला है भगवन ,कैसे समझू मै मूढ़मति बेबस है पालनहार जगत के,काल चले कैसी ये गति।। ©कपिल

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Jai shree ram सज रहा है देखो सरयू तट अवध के हुए है वारे न्यारे जाने कितने संघर्षों बाद आज मंदिर में विराजेंगे मेरे रामलला प्यारे।। ©कपिल

#पौराणिककथा #JaiShreeRam  Jai shree ram सज रहा है देखो सरयू तट
अवध के हुए है वारे न्यारे
जाने कितने संघर्षों बाद आज
मंदिर में विराजेंगे मेरे रामलला प्यारे।।

©कपिल

#JaiShreeRam

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Jai shree ram सज रहा है देखो सरयू तट अवध के हुए है वारे न्यारे जाने कितने संघर्षों बाद आज मंदिर में विराजेंगे मेरे रामलला प्यारे।। ©कपिल

#पौराणिककथा #JaiShreeRam  Jai shree ram सज रहा है देखो सरयू तट
अवध के हुए है वारे न्यारे
जाने कितने संघर्षों बाद आज 
मंदिर में विराजेंगे मेरे रामलला प्यारे।।

©कपिल

#JaiShreeRam

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