किसी ने ताज मांगा तो
किसी ने तख़्त को मांगा,
गुजारूं हिन्द की ख़िदमत में
मैंने वक़्त को मांगा।
नहीं चाहिए मुझे ये ताज,
दौलत और ये शोहरत,
हिफ़ाजत में वतन की बह सके
उस रक्त को मांगा।।
©Shrikant Dubey✍🏻
किसी ने ताज मांगा तो किसी ने तख़्त को मांगा,
गुजारूं हिन्द की ख़िदमत में मैंने वक़्त को मांगा।
नहीं चाहिए मुझे ये ताज, दौलत और ये शोहरत,
हिफ़ाजत में वतन की बह सके उस रक्त को मांगा।।
©श्रीकान्त दुबे✍🏻
तख़्त: सिंहासन, ख़िदमत: सेवा, हिफाज़त: रक्षा, शोहरत: पहचान