कुछ भी कहो....
ओ जाने जां ओ प्रियतम, हो प्यार ना कभी कम।
तू ही है दिल की धड़कन, गीतों की मेरे सरगम।।
जीवन में मेरे हमदम तुम ही तो हो.....२
कुछ भी कहो.....४
देखा है जबसे तुझको हुआ ये मन बावरा।
लगती हो ऐसे जमीं पर हो कोई अप्सरा।।
दिल की दहलीज़ों पे रखो रेशम से कदम।
रूह की तपन तुम ही तो हो.....२
कुछ भी कहो.....४
चंचल ये तेरे नयन ये मखमली सा बदन।
पायल की झंकारें और हाथों में खनके कंगन।।
इस प्रेम की डोर में अब लग जाये ऐसा बंधन।
मेरी खुशियों का उद्गम तुम ही तो हो.....२
कुछ भी कहो.....४
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here