Shrikant Dubey

Shrikant Dubey Lives in Gurugram, Haryana, India

Please do not see my articles connected to my personal life because being a writer i can throw light on any event.

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मुलाक़ातें कभी ख़्वाबों में हो जाती थी उनसे, वो  तो  हर  ख़्वाब   ही  रंगीन  बना   बैठे  हैं। कभी  झूले थे  मेरी बाहों को  बना  कर झूला, आज  किसी और के आग़ोश में  जा  बैठे हैं। © श्रीकान्त दुबे✍🏻 ©Shrikant Dubey

#ख़्वाबउसके #कविता #Morning  मुलाक़ातें कभी ख़्वाबों में हो जाती थी उनसे,
वो  तो  हर  ख़्वाब   ही  रंगीन  बना   बैठे  हैं।
कभी  झूले थे  मेरी बाहों को  बना  कर झूला,
आज  किसी और के आग़ोश में  जा  बैठे  हैं।

© श्रीकान्त दुबे✍🏻

©Shrikant Dubey

कोई लौटा दे मुझको मेरे बचपन के सुनहरे दिन, कहीं नुक्कड़ पे बैठे दोस्तों की महफ़िलों के दिन। सुबह होती है दिन ढल जाता है अन्जान शहरों में, नहीं होती है रौनक शाम की अब दोस्तों के बिन।। ©Shrikant Dubey✍🏻

#शायरी #बचपन #childernsday #Childhood #friends  कोई लौटा दे मुझको
मेरे बचपन के सुनहरे दिन,
कहीं नुक्कड़ पे बैठे
दोस्तों की महफ़िलों के दिन।
सुबह होती है दिन ढल जाता है
अन्जान शहरों में,
नहीं होती है रौनक शाम की
अब दोस्तों के बिन।।




©Shrikant Dubey✍🏻

किसी ने ताज मांगा तो किसी ने तख़्त को मांगा, गुजारूं हिन्द की ख़िदमत में मैंने वक़्त को मांगा। नहीं चाहिए मुझे ये ताज, दौलत और ये शोहरत, हिफ़ाजत में वतन की बह सके उस रक्त को मांगा।। ©Shrikant Dubey✍🏻

#हिंदुस्तान #देशप्रेम #कविता #विचार  किसी ने ताज मांगा तो
किसी ने तख़्त को मांगा,
गुजारूं हिन्द की ख़िदमत में 
मैंने वक़्त को मांगा।
नहीं चाहिए मुझे ये ताज,
दौलत और ये शोहरत,
हिफ़ाजत में वतन की बह सके 
उस रक्त को मांगा।।


©Shrikant Dubey✍🏻

किसी ने ताज मांगा तो किसी ने तख़्त को मांगा, गुजारूं हिन्द की ख़िदमत में मैंने वक़्त को मांगा। नहीं चाहिए मुझे ये ताज, दौलत और ये शोहरत, हिफ़ाजत में वतन की बह सके उस रक्त को मांगा।। ©श्रीकान्त दुबे✍🏻 तख़्त: सिंहासन, ख़िदमत: सेवा, हिफाज़त: रक्षा, शोहरत: पहचान

5 Love

कुछ भी कहो.... ओ जाने जां ओ प्रियतम, हो प्यार ना कभी कम। तू ही है दिल की धड़कन, गीतों की मेरे सरगम।। जीवन में मेरे हमदम तुम ही तो हो.....२ कुछ भी कहो.....४ देखा है जबसे तुझको हुआ ये मन बावरा। लगती हो ऐसे जमीं पर हो कोई अप्सरा।। दिल की दहलीज़ों पे रखो रेशम से कदम। रूह की तपन तुम ही तो हो.....२ कुछ भी कहो.....४ चंचल ये तेरे नयन ये मखमली सा बदन। पायल की झंकारें और हाथों में खनके कंगन।। इस प्रेम की डोर में अब लग जाये ऐसा बंधन। मेरी खुशियों का उद्गम तुम ही तो हो.....२ कुछ भी कहो.....४

#कविता  कुछ भी कहो....

ओ जाने जां ओ प्रियतम, हो प्यार ना कभी कम।
तू ही है दिल की धड़कन, गीतों की मेरे सरगम।।
जीवन में मेरे हमदम तुम ही तो हो.....२
कुछ भी कहो.....४



देखा है जबसे तुझको हुआ ये मन बावरा।
लगती हो ऐसे जमीं पर हो कोई अप्सरा।।
दिल की दहलीज़ों पे रखो रेशम से कदम।
रूह की तपन तुम ही तो हो.....२
कुछ भी कहो.....४

चंचल ये तेरे नयन ये मखमली सा बदन।
पायल की झंकारें और हाथों में खनके कंगन।।
इस प्रेम की डोर में अब लग जाये ऐसा बंधन।
मेरी खुशियों का उद्गम तुम ही तो हो.....२
कुछ भी कहो.....४

Chandrayaan2 हर कोई छत से चाँद देख रहा था और मैं छत पर चाँद देख रहा था

 Chandrayaan2 हर कोई छत से चाँद देख रहा था
और मैं छत पर चाँद देख रहा था

Chandrayaan2 हर कोई छत से चाँद देख रहा था और मैं छत पर चाँद देख रहा था

3 Love

#Pehlealfaaz I am unable to see my posts. Can anyone suggest how can i see?

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