"White ये रंग बदलता शहर, सांसों में घुला हुआ ज़हर।
पंछी सारे मर गए, कुछ अपना रास्ता बदल गए।
इंसानों की उमर घट रही, दवाओं पर सब जी रहे।
कितना शोर है इन शहरों में, क्यों सब भाग रहे??
रुक जाओ जरा, थोड़ा प्रकृति की गोद में भी जाओ।
भर लोग अपने फेफड़ों में प्रकृति को, देखो कुछ होगा अलग।
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