खुशियां महलों से नही, परिवारों से होती है, रौनक ब | हिंदी Shayari

"खुशियां महलों से नही, परिवारों से होती है, रौनक बाजारों से नही, खरीदारों से होती है, हमने सुना है मिलता है अपने हिस्से का सबको, बसाहट लूटमारो से नही, ईमानदारों से होती है। ©Vikash Kamboj"

 खुशियां महलों से नही, परिवारों से होती है,

रौनक बाजारों से नही, खरीदारों से होती है,

हमने सुना है मिलता है अपने हिस्से का सबको,

बसाहट लूटमारो से नही, ईमानदारों से होती है।

©Vikash Kamboj

खुशियां महलों से नही, परिवारों से होती है, रौनक बाजारों से नही, खरीदारों से होती है, हमने सुना है मिलता है अपने हिस्से का सबको, बसाहट लूटमारो से नही, ईमानदारों से होती है। ©Vikash Kamboj

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