बेहतरीन रहा अब तक का सफर , हँस-हसँ काटा सुविधाओं | हिंदी कविता

"बेहतरीन रहा अब तक का सफर , हँस-हसँ काटा सुविधाओं बिन। ये "जंग-ए-निवाला"बात रोज की , फिर भी प्यारा है,प्रत्येक दिन ।। पुष्पेन्द्र "पंकज" ©Pushpendra Pankaj"

 बेहतरीन रहा अब तक का सफर ,
हँस-हसँ काटा  सुविधाओं बिन।
ये "जंग-ए-निवाला"बात रोज की ,
फिर भी प्यारा है,प्रत्येक दिन ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj

बेहतरीन रहा अब तक का सफर , हँस-हसँ काटा सुविधाओं बिन। ये "जंग-ए-निवाला"बात रोज की , फिर भी प्यारा है,प्रत्येक दिन ।। पुष्पेन्द्र "पंकज" ©Pushpendra Pankaj

जीना है तो हँस कर जीना

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