Pushpendra Pankaj

Pushpendra Pankaj

मैं एक कवि, लेखक, चित्रकार और गणित अध्यापक हूँ। referral code— nojotouser5996603663 Instagram - @pushpendrasharma7197 Twitter - @Pushpen86395942

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#कविता  दुनियादारी जब निभानी आ गई,
उनसे मिलने की कहानी भा गई,
चल ही पाए थे संभल दो-चार पग,
राक्षसी मंहगाई सपने खा गई।।
सारा नियोजन एक पल में ढह गया,
संयोजन तेज धार बनकर बह गया 
बन रहे थे अपने आप मे अर्थवेत्ता,
एक झोका सब सच्चाई कह गया ।।
अब तो सपने देखना ही रह गया 
जितनी हिम्मत थी,उतना सह गया,
संयोजन,नियोजन भी अब सस्ता नहीं 
आम जीवन गृहण बनकर गह गया ।।
कट चुका है ,कूछ ही जीवन शेष है 
झांकते है पर्स क्या कुछ अवशेष है,
रिस रही है जिंदगी तिल-तिल यहाँ, 
देखते हैं,साहब का क्या आदेश है ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj

राक्षसी मंहगाई सपने खा गई

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#कविता #thelunarcycle  मुहब्बत को घटने ना देना, 
ऐ चाँद! यूँ ही दीदार कराया करो।
कोई चाहता दिल से तुम्हें, 
वक्त बे वक्त नज़र आया करो ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj
#कविता #Dostiforever  भाई ,मुस्कुराते सब हैं 
बहाने अलग-अलग हैं, 
कुछ गुनगुनाते सब हैं, 
तराने अलग-अलग हैं, 
है सबकी कुछ कहानी
फसाने अलग-अलग हैं 
अपने ही रूठते हैं, 
बहाने अलग-अलग हैं 
उसने फिर से कुछ कहा है,
मेरा नया नाम रखकर,
है अंदाज वही पुराना, 
उलहाने अलग-अलग हैं ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj

#Dostiforever

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#कविता #StandProud  यह तन्हाई और  यह इंतजार ,
कितना  लम्बा यह  इंतजार, 
इतजार की भी एक हद है यार ।
अब हद भी  हो गई हद के पार । 
उम्मीद बदल जा तू सच में, 
माना यह नहीं सबके बस में, 
अब समय मांगता समझौता,
नहीं सह सकता यह कठिन भार ।
बिगङी को बदलो सुधरी में, 
पुण्य भरो पाप की गठरी में, 
चलो कदम कुछ संभल संभल,
नहीं सह सकता अब कठिन हार ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj

#StandProud

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#विचार  चिंतन वही जिसमें चिता ना हो 
बल्कि  अपने या पराये किसी भी 
विषय से संबंधित गुण/दोषों  पर रचनात्मक  समीक्षा  हो ।

©Pushpendra Pankaj

चिंतन

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बेहतरीन रहा अब तक का सफर , हँस-हसँ काटा सुविधाओं बिन। ये "जंग-ए-निवाला"बात रोज की , फिर भी प्यारा है,प्रत्येक दिन ।। पुष्पेन्द्र "पंकज" ©Pushpendra Pankaj

#कविता  बेहतरीन रहा अब तक का सफर ,
हँस-हसँ काटा  सुविधाओं बिन।
ये "जंग-ए-निवाला"बात रोज की ,
फिर भी प्यारा है,प्रत्येक दिन ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज"

©Pushpendra Pankaj

जीना है तो हँस कर जीना

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