मन कटु वाणी से आहत हो भीतर तक छलनी हो जाए, फिर बाद

"मन कटु वाणी से आहत हो भीतर तक छलनी हो जाए, फिर बाद कहे प्रिय वचनों का रह जाता कोई अर्थ नहीं। सुख साधन चाहें जितने हो पर काया रोगों का घर हो, फिर उन अनगिनत सुविधाओं का रह जाता कोई अर्थ नहीं।। ©Nisha Dhiman"

 मन कटु वाणी से आहत हो
भीतर तक छलनी हो जाए,
फिर बाद कहे प्रिय वचनों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।

सुख साधन चाहें जितने हो
पर काया रोगों का घर हो,
फिर उन अनगिनत सुविधाओं का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।।

©Nisha Dhiman

मन कटु वाणी से आहत हो भीतर तक छलनी हो जाए, फिर बाद कहे प्रिय वचनों का रह जाता कोई अर्थ नहीं। सुख साधन चाहें जितने हो पर काया रोगों का घर हो, फिर उन अनगिनत सुविधाओं का रह जाता कोई अर्थ नहीं।। ©Nisha Dhiman

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