Nisha Dhiman

Nisha Dhiman Lives in Saharanpur, Uttar Pradesh, India

तू है सागर वही जिसकी मैं हूं नदी अंत मेरा लिखा तुझमे ही follow me on Instagram too... dhiman.nisha

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भगत सिंह और सुभाष चन्द्र ये सब कर गए ऐसा काम पर इन फिरंगियों की करतूतों से ये देश हुआ बदनाम सह कर सभी के अत्याचारों को ये फिर भी ना हारें थे बना कर फांसी के फंदों की माला किया देश को इन्होंने अपने नाम याद नहीं हमें कुछ भी अब हम सिर्फ देते उन्हें शाबाशी है आजादी तो हमें मिल गई पर थोड़ी आजादी अभी बाकी हैं। ©Nisha Dhiman

#Independence2021  भगत सिंह और सुभाष चन्द्र
ये सब कर गए ऐसा काम

पर इन फिरंगियों की करतूतों से
ये देश हुआ बदनाम

सह कर सभी के अत्याचारों को
ये फिर भी ना हारें थे

बना कर फांसी के फंदों की माला
किया देश को इन्होंने अपने नाम

याद नहीं हमें कुछ भी अब
हम सिर्फ देते उन्हें शाबाशी है

आजादी तो हमें मिल गई
पर थोड़ी आजादी अभी बाकी हैं।

©Nisha Dhiman

जय हिन्द जय भारत #Independence2021

24 Love

स्तब्ध हूं निशब्द नहीं गहनता का हूं परिचय खोज ले जो मुझ में मैं को कीर्तिमान का हो उदय!! मैं भी मैं हूं तुम भी मैं हूं मैं का है इतना सा अर्थ खोज ले जो खुद में मैं को है शेष बाकी व्यर्थ !! विहरता वन काननों में भावुक सा वो चित्त मेरा निशा से उस भोर तक जो कुछ है सब है तेरा!! ©Nisha Dhiman

#WorldAsteroidDay  स्तब्ध हूं निशब्द नहीं 
गहनता का हूं परिचय 
खोज ले जो मुझ में मैं को 
कीर्तिमान का हो उदय!!

मैं भी मैं हूं तुम भी मैं हूं 
मैं का है इतना सा अर्थ 
खोज ले जो खुद में मैं को
 है शेष बाकी व्यर्थ !!

विहरता वन काननों में 
भावुक सा वो चित्त मेरा
 निशा से उस भोर तक 
जो कुछ है सब है तेरा!!

©Nisha Dhiman

मन कटु वाणी से आहत हो भीतर तक छलनी हो जाए, फिर बाद कहे प्रिय वचनों का रह जाता कोई अर्थ नहीं। सुख साधन चाहें जितने हो पर काया रोगों का घर हो, फिर उन अनगिनत सुविधाओं का रह जाता कोई अर्थ नहीं।। ©Nisha Dhiman

#lotus  मन कटु वाणी से आहत हो
भीतर तक छलनी हो जाए,
फिर बाद कहे प्रिय वचनों का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।

सुख साधन चाहें जितने हो
पर काया रोगों का घर हो,
फिर उन अनगिनत सुविधाओं का
रह जाता कोई अर्थ नहीं।।

©Nisha Dhiman

#lotus

21 Love

फिसलती हुई ओंस की भांति संभालती हुई अपना अस्तित्व क्षणिक भर ठहर जाए तो छू ले वो अंबर मंद सी मुस्कान लिए खोजती हुई मार्ग को स्वयं खोल चक्षु निहार रही उदित सूर्य की लालिम कोकिला की धुन मधुर और भवरों का गुंजन खिल रही वो पुष्प स्वरूप उस प्रकृति को नमन मातृ रूप में मिल रही प्रेम की ठंडी फुहार मातृ वंदनीय रूप प्रकृति मिला है हमें यह उपहार।। ©Nisha Dhiman

#droplets  फिसलती हुई ओंस की भांति
संभालती हुई अपना अस्तित्व
क्षणिक भर ठहर जाए 
तो छू ले वो अंबर

मंद सी मुस्कान लिए
खोजती हुई मार्ग को स्वयं
खोल चक्षु निहार रही
उदित सूर्य की लालिम

कोकिला की धुन मधुर
और भवरों का गुंजन
खिल रही वो पुष्प स्वरूप
उस प्रकृति को नमन

मातृ रूप में मिल रही
प्रेम की ठंडी फुहार
मातृ वंदनीय रूप प्रकृति
 मिला है हमें यह उपहार।।

©Nisha Dhiman

#droplets

19 Love

भावनाएं जो लहरों की तरह उठती हैं शोर मचाती हैं झूमती हैं इठलाती हैं कुछ कहना चाहती हैं खोजती है किनारे को जो छिपा है समंदर की गहराइयों में लेकिन ज्ञात होते ही कुछ अनकहे पहलू सतह पर आ जाता है जानने को उत्सुक भावनाओं के वो शब्द जो सींप में मोतियों की तरह छिपे हैं अंतर्मन पर छाए हैं। ©Nisha Dhiman

#seashore  भावनाएं
 जो लहरों की तरह उठती हैं 
शोर मचाती हैं 
झूमती हैं 
इठलाती हैं
 कुछ कहना चाहती हैं 
खोजती है किनारे को 
जो छिपा है 
समंदर की गहराइयों में 
लेकिन ज्ञात होते ही 
कुछ अनकहे पहलू 
सतह पर आ जाता है 
जानने को उत्सुक 
भावनाओं के वो शब्द 
जो सींप में 
मोतियों की तरह छिपे हैं 

अंतर्मन पर छाए हैं।

©Nisha Dhiman

#seashore

19 Love

physical distance doesn't matter, when the heart's ❤️ are connected.... ©Nisha Dhiman

 physical distance doesn't matter,
when the heart's ❤️ are connected....

©Nisha Dhiman

physical distance doesn't matter, when the heart's ❤️ are connected.... ©Nisha Dhiman

24 Love

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