वक़्त कहा भुलने देता है,किसी की गहरि यादो को । कि | हिंदी शायरी

"वक़्त कहा भुलने देता है,किसी की गहरि यादो को । किसी के साथ किये गये,उन सभी कसमे वदो को। ये बस दिखावा है हमारे उपरी मनका ,कि हुम भूल गये है उसको । उसकी यदो का पुरा शहर सा है हुमारे भीतरी मन मे , मानो हर वक़्त नज़र आता जाता है वो । गुजरे हुये एक अरसा सा हुआ मुझे उसकी गली से, आज भी लगता है कोइ आवाज़ लगाता है मुझ को। वक़्त कहा भुलने देता है, ©Mayank Pandey"

 वक़्त कहा भुलने देता है,किसी की गहरि यादो को ।

किसी के साथ किये गये,उन सभी कसमे  वदो को।

ये बस दिखावा है हमारे उपरी मनका ,कि हुम भूल गये है उसको ।

उसकी यदो का पुरा शहर सा है हुमारे भीतरी मन मे ,
मानो हर वक़्त  नज़र आता जाता है वो ।

गुजरे हुये एक अरसा सा हुआ मुझे उसकी गली से,
 आज भी लगता है कोइ आवाज़ लगाता है मुझ को।

वक़्त कहा भुलने देता है,

©Mayank Pandey

वक़्त कहा भुलने देता है,किसी की गहरि यादो को । किसी के साथ किये गये,उन सभी कसमे वदो को। ये बस दिखावा है हमारे उपरी मनका ,कि हुम भूल गये है उसको । उसकी यदो का पुरा शहर सा है हुमारे भीतरी मन मे , मानो हर वक़्त नज़र आता जाता है वो । गुजरे हुये एक अरसा सा हुआ मुझे उसकी गली से, आज भी लगता है कोइ आवाज़ लगाता है मुझ को। वक़्त कहा भुलने देता है, ©Mayank Pandey

#boatclub swetu @Preeti Tripathi

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