विश्व का सबसे अनोखा मुकदमा: न्यायालय में एक मुकद

"विश्व का सबसे अनोखा मुकदमा: न्यायालय में एक मुकद्दमा आया, जिसने सभी को झकझोर दिया| अदालतों में प्रॉपर्टी विवाद व अन्य पारिवारिक विवाद के केस आते ही रहते हैं, मगर ये मामला बहुत ही अलग किस्म का था। एक 70 साल के बूढ़े व्यक्ति ने अपने 80 साल के बूढ़े भाई पर मुकद्दमा किया था ... 🙄🙄🙄 मुकद्दमा कुछ यूं था कि "मेरा 80 साल का बड़ा भाई अब बूढ़ा हो चला है इसलिए वह खुद अपना ख्याल भी ठीक से नहीं रख सकता, मगर मेरे मना करने पर भी वह हमारी 110 साल की मां की देखभाल कर रहा है। मैं अभी ठीक हूं, इसलिए अब मुझे मां की सेवा करने का मौका दिया जाय और मां को मुझे सौंप दिया जाए। न्यायाधीश महोदय का दिमाग घूम गया और मुक़दमा भी चर्चा में आ गया, न्यायाधीश महोदय ने दोनों भाइयों को समझाने की कोशिश की कि आप लोग 15-15 दिन रख लो। मगर कोई टस से मस नहीं हुआ बड़े भाई का कहना था कि मैं अपने स्वर्ग को खुद से दूर क्यों होने दूँ? अगर मां कह दे कि उसको मेरे पास कोई परेशानी है या मैं उसकी देखभाल ठीक से नहीं करता तो अवश्य छोटे भाई को दे दो। छोटा भाई कहता कि पिछले 40 साल से अकेले ये सेवा किये जा रहा है, आखिर मैं अपना कर्तव्य कब पूरा करूँगा? परेशान न्यायाधीश महोदय ने सभी प्रयास कर लिये मगर कोई हल नहीं निकला ... 😶😶😶 आखिर उन्होंने मां की राय जानने के लिए उसको बुलवाया और पूंछा कि वह किसके साथ रहना चाहती है? मां कुल 30 किलो की बेहद कमजोर सी औरत थी और बड़ी मुश्किल से व्हील चेयर पर आई थी उसने दुखी दिल से कहा कि मेरे लिए दोनों संतान बराबर हैं, मैं किसी एक के पक्ष में फैसला सुनाकर दूसरे का दिल नहीं दुखा सकती। आप न्यायाधीश हैं निर्णय करना आपका काम है, जो आपका निर्णय होगा मैं उसको ही मान लूंगी। ©Trending aajkal"

 विश्व का सबसे अनोखा मुकदमा:


न्यायालय में एक मुकद्दमा आया, जिसने सभी को झकझोर दिया| अदालतों में प्रॉपर्टी विवाद व अन्य पारिवारिक विवाद के केस आते ही रहते हैं, मगर ये मामला बहुत ही अलग किस्म का था।

एक 70 साल के बूढ़े व्यक्ति ने अपने 80 साल के बूढ़े भाई पर मुकद्दमा किया था ... 🙄🙄🙄

मुकद्दमा कुछ यूं था कि "मेरा 80 साल का बड़ा भाई अब बूढ़ा हो चला है इसलिए वह खुद अपना ख्याल भी ठीक से नहीं रख सकता, मगर मेरे मना करने पर भी वह हमारी 110 साल की मां की देखभाल कर रहा है।
मैं अभी ठीक हूं, इसलिए अब मुझे मां की सेवा करने का मौका दिया जाय और मां को मुझे सौंप दिया जाए।

न्यायाधीश महोदय का दिमाग घूम गया और मुक़दमा भी चर्चा में आ गया, न्यायाधीश महोदय ने दोनों भाइयों को समझाने की कोशिश की कि आप लोग 15-15 दिन रख लो।
मगर कोई टस से मस नहीं हुआ बड़े भाई का कहना था कि मैं अपने स्वर्ग को खुद से दूर क्यों होने दूँ? अगर मां कह दे कि उसको मेरे पास कोई परेशानी है या मैं  उसकी देखभाल ठीक से नहीं करता तो अवश्य छोटे भाई को दे दो।
छोटा भाई कहता कि पिछले 40 साल से अकेले ये सेवा किये जा रहा है, आखिर मैं अपना कर्तव्य कब पूरा करूँगा?
परेशान न्यायाधीश महोदय ने सभी प्रयास कर लिये मगर कोई हल नहीं निकला ... 😶😶😶

आखिर उन्होंने मां की राय जानने के लिए उसको बुलवाया और पूंछा कि वह किसके साथ रहना चाहती है?

मां कुल 30 किलो की बेहद कमजोर सी औरत थी और बड़ी मुश्किल से व्हील चेयर पर आई थी उसने दुखी दिल से कहा कि मेरे लिए दोनों संतान बराबर हैं, मैं किसी एक के पक्ष में फैसला सुनाकर दूसरे का दिल नहीं दुखा सकती।

आप न्यायाधीश हैं निर्णय करना आपका काम है, जो आपका निर्णय होगा मैं उसको ही मान लूंगी।

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विश्व का सबसे अनोखा मुकदमा: न्यायालय में एक मुकद्दमा आया, जिसने सभी को झकझोर दिया| अदालतों में प्रॉपर्टी विवाद व अन्य पारिवारिक विवाद के केस आते ही रहते हैं, मगर ये मामला बहुत ही अलग किस्म का था। एक 70 साल के बूढ़े व्यक्ति ने अपने 80 साल के बूढ़े भाई पर मुकद्दमा किया था ... 🙄🙄🙄 मुकद्दमा कुछ यूं था कि "मेरा 80 साल का बड़ा भाई अब बूढ़ा हो चला है इसलिए वह खुद अपना ख्याल भी ठीक से नहीं रख सकता, मगर मेरे मना करने पर भी वह हमारी 110 साल की मां की देखभाल कर रहा है। मैं अभी ठीक हूं, इसलिए अब मुझे मां की सेवा करने का मौका दिया जाय और मां को मुझे सौंप दिया जाए। न्यायाधीश महोदय का दिमाग घूम गया और मुक़दमा भी चर्चा में आ गया, न्यायाधीश महोदय ने दोनों भाइयों को समझाने की कोशिश की कि आप लोग 15-15 दिन रख लो। मगर कोई टस से मस नहीं हुआ बड़े भाई का कहना था कि मैं अपने स्वर्ग को खुद से दूर क्यों होने दूँ? अगर मां कह दे कि उसको मेरे पास कोई परेशानी है या मैं उसकी देखभाल ठीक से नहीं करता तो अवश्य छोटे भाई को दे दो। छोटा भाई कहता कि पिछले 40 साल से अकेले ये सेवा किये जा रहा है, आखिर मैं अपना कर्तव्य कब पूरा करूँगा? परेशान न्यायाधीश महोदय ने सभी प्रयास कर लिये मगर कोई हल नहीं निकला ... 😶😶😶 आखिर उन्होंने मां की राय जानने के लिए उसको बुलवाया और पूंछा कि वह किसके साथ रहना चाहती है? मां कुल 30 किलो की बेहद कमजोर सी औरत थी और बड़ी मुश्किल से व्हील चेयर पर आई थी उसने दुखी दिल से कहा कि मेरे लिए दोनों संतान बराबर हैं, मैं किसी एक के पक्ष में फैसला सुनाकर दूसरे का दिल नहीं दुखा सकती। आप न्यायाधीश हैं निर्णय करना आपका काम है, जो आपका निर्णय होगा मैं उसको ही मान लूंगी। ©Trending aajkal

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