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“Sir, who is this Paagi?” पागी का अर्थ है- 'मार्गदर्शक', अर्थात वो व्यक्ति जो रेगिस्तान में रास्ता दिखाए। 'रणछोड़दास रबारी' को जनरल सैम मानिक शॉ इसी नाम से बुलाते थे। रणछोड़दास गुजरात के बनासकांठा ज़िले के पाकिस्तान की सीमा से सटे गाँव पेथापुर गथड़ों के निवासी थे। वे भेड़, बकरी व ऊँट पालन का काम करते थे। उनके जीवन में बदलाव तब आया, जब उन्हें 58 वर्ष की आयु में बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक वनराज सिंह झाला ने उन्हें पुलिस के मार्गदर्शक के रूप में रख लिया। उनमें हुनर इतना था कि ऊँट के पैरों के निशान देखकर ही बता देते थे कि उस पर कितने आदमी सवार हैं। इंसानी पैरों के निशान देखकर वज़न से लेकर उम्र तक का अन्दाज़ा लगा लेते थे। कितनी देर पहले का निशान है तथा कितनी दूर तक गया होगा, सब एकदम सटीक आँकलन, जैसे कोई कम्प्यूटर गणना कर रहा हो। 1965 के युद्ध के आरम्भ में पाकिस्तानी सेना ने भारत के गुजरात में कच्छ सीमा स्थित विधकोट पर कब्ज़ा कर लिया। इस मुठभेड़ में लगभग 100 भारतीय सैनिक हताहत हो गये थे तथा भारतीय सेना की एक 10 हजार सैनिकों वाली टुकड़ी को तीन दिन में छारकोट पहुँचना आवश्यक था। तब आवश्यकता पड़ी थी, पहली बार रणछोडदास पागी की। रेगिस्तानी रास्तों पर अपनी पकड़ की बदौलत उन्होंने सेना को तय समय से 12 घण्टे पहले मञ्ज़िल तक पहुँचा दिया था। सेना के मार्गदर्शन के लिए उन्हें सैम साहब ने खुद चुना था तथा सेना में एक विशेष पद सृजित किया गया- 'पागी'। अर्थात- पग अथवा पैरों का जानकार। भारतीय सीमा में छिपे 1200 पाकिस्तानी सैनिकों की location तथा अनुमानित संख्या केवल उनके पदचिह्नों से पता कर भारतीय सेना को बता दी तथा इतना ही काफ़ी था, भारतीय सेना के लिए वो मोर्चा जीतने के लिए। 1971 के युद्ध में सेना के मार्गदर्शन के साथ-साथ अग्रिम मोर्चे तक गोला-बारूद पहुँचाना भी पागी के काम का हिस्सा था। पाकिस्तान के पालीनगर शहर पर जो भारतीय तिरंगा फहराया था, उस जीत में पागी की अहम भूमिका थी। पागी को तीन सम्मान भी मिले 65 व 71 के युद्ध में उनके योगदान के लिए - संग्राम पदक, पुलिस पदक व समर सेवा पदक। ©Trending aajkal

#Armylover #OneSeason #Stories #India #Man  “Sir, who is this Paagi?”

पागी का अर्थ है- 'मार्गदर्शक', अर्थात वो व्यक्ति जो रेगिस्तान में रास्ता दिखाए। 'रणछोड़दास रबारी' को जनरल सैम मानिक शॉ इसी नाम से बुलाते थे।

रणछोड़दास गुजरात के बनासकांठा ज़िले के पाकिस्तान की सीमा से सटे गाँव पेथापुर गथड़ों के निवासी थे। वे भेड़, बकरी व ऊँट पालन का काम करते थे। उनके जीवन में बदलाव तब आया, जब उन्हें 58 वर्ष की आयु में बनासकांठा के पुलिस अधीक्षक वनराज सिंह झाला ने उन्हें पुलिस के मार्गदर्शक के रूप में रख लिया।

उनमें हुनर इतना था कि ऊँट के पैरों के निशान देखकर ही बता देते थे कि उस पर कितने आदमी सवार हैं। इंसानी पैरों के निशान देखकर वज़न से लेकर उम्र तक का अन्दाज़ा लगा लेते थे। कितनी देर पहले का निशान है तथा कितनी दूर तक गया होगा, सब एकदम सटीक आँकलन, जैसे कोई कम्प्यूटर गणना कर रहा हो।

1965 के युद्ध के आरम्भ में पाकिस्तानी सेना ने भारत के गुजरात में कच्छ सीमा स्थित विधकोट पर कब्ज़ा कर लिया। इस मुठभेड़ में लगभग 100 भारतीय सैनिक हताहत हो गये थे तथा भारतीय सेना की एक 10 हजार सैनिकों वाली टुकड़ी को तीन दिन में छारकोट पहुँचना आवश्यक था। तब आवश्यकता पड़ी थी, पहली बार रणछोडदास पागी की। रेगिस्तानी रास्तों पर अपनी पकड़ की बदौलत उन्होंने सेना को तय समय से 12 घण्टे पहले मञ्ज़िल तक पहुँचा दिया था। सेना के मार्गदर्शन के लिए उन्हें सैम साहब ने खुद चुना था तथा सेना में एक विशेष पद सृजित किया गया- 'पागी'। अर्थात- पग अथवा पैरों का जानकार।

भारतीय सीमा में छिपे 1200 पाकिस्तानी सैनिकों की location तथा अनुमानित संख्या केवल उनके पदचिह्नों से पता कर भारतीय सेना को बता दी तथा इतना ही काफ़ी था, भारतीय सेना के लिए वो मोर्चा जीतने के लिए।

1971 के युद्ध में सेना के मार्गदर्शन के साथ-साथ अग्रिम मोर्चे तक गोला-बारूद पहुँचाना भी पागी के काम का हिस्सा था। पाकिस्तान के पालीनगर शहर पर जो भारतीय तिरंगा फहराया था, उस जीत में पागी की अहम भूमिका थी। 

पागी को तीन सम्मान भी मिले 65 व 71 के युद्ध में उनके योगदान के लिए - संग्राम पदक, पुलिस पदक व समर सेवा पदक।

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बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए उजड़ जाते हैं सर से पाँव तक वो लोग जो, किसी बेपरवाह से बे-पनाह मोहब्बत करते ©Trending aajkal

#sad_love #sayari  बहुत थे मेरे भी इस दुनिया मेँ अपने
फिर हुआ इश्क और हम लावारिस हो गए



उजड़ जाते हैं सर से पाँव तक वो लोग जो,
किसी बेपरवाह से बे-पनाह मोहब्बत करते

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विश्व का सबसे अनोखा मुकदमा: न्यायालय में एक मुकद्दमा आया, जिसने सभी को झकझोर दिया| अदालतों में प्रॉपर्टी विवाद व अन्य पारिवारिक विवाद के केस आते ही रहते हैं, मगर ये मामला बहुत ही अलग किस्म का था। एक 70 साल के बूढ़े व्यक्ति ने अपने 80 साल के बूढ़े भाई पर मुकद्दमा किया था ... 🙄🙄🙄 मुकद्दमा कुछ यूं था कि "मेरा 80 साल का बड़ा भाई अब बूढ़ा हो चला है इसलिए वह खुद अपना ख्याल भी ठीक से नहीं रख सकता, मगर मेरे मना करने पर भी वह हमारी 110 साल की मां की देखभाल कर रहा है। मैं अभी ठीक हूं, इसलिए अब मुझे मां की सेवा करने का मौका दिया जाय और मां को मुझे सौंप दिया जाए। न्यायाधीश महोदय का दिमाग घूम गया और मुक़दमा भी चर्चा में आ गया, न्यायाधीश महोदय ने दोनों भाइयों को समझाने की कोशिश की कि आप लोग 15-15 दिन रख लो। मगर कोई टस से मस नहीं हुआ बड़े भाई का कहना था कि मैं अपने स्वर्ग को खुद से दूर क्यों होने दूँ? अगर मां कह दे कि उसको मेरे पास कोई परेशानी है या मैं उसकी देखभाल ठीक से नहीं करता तो अवश्य छोटे भाई को दे दो। छोटा भाई कहता कि पिछले 40 साल से अकेले ये सेवा किये जा रहा है, आखिर मैं अपना कर्तव्य कब पूरा करूँगा? परेशान न्यायाधीश महोदय ने सभी प्रयास कर लिये मगर कोई हल नहीं निकला ... 😶😶😶 आखिर उन्होंने मां की राय जानने के लिए उसको बुलवाया और पूंछा कि वह किसके साथ रहना चाहती है? मां कुल 30 किलो की बेहद कमजोर सी औरत थी और बड़ी मुश्किल से व्हील चेयर पर आई थी उसने दुखी दिल से कहा कि मेरे लिए दोनों संतान बराबर हैं, मैं किसी एक के पक्ष में फैसला सुनाकर दूसरे का दिल नहीं दुखा सकती। आप न्यायाधीश हैं निर्णय करना आपका काम है, जो आपका निर्णय होगा मैं उसको ही मान लूंगी। ©Trending aajkal

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न्यायालय में एक मुकद्दमा आया, जिसने सभी को झकझोर दिया| अदालतों में प्रॉपर्टी विवाद व अन्य पारिवारिक विवाद के केस आते ही रहते हैं, मगर ये मामला बहुत ही अलग किस्म का था।

एक 70 साल के बूढ़े व्यक्ति ने अपने 80 साल के बूढ़े भाई पर मुकद्दमा किया था ... 🙄🙄🙄

मुकद्दमा कुछ यूं था कि "मेरा 80 साल का बड़ा भाई अब बूढ़ा हो चला है इसलिए वह खुद अपना ख्याल भी ठीक से नहीं रख सकता, मगर मेरे मना करने पर भी वह हमारी 110 साल की मां की देखभाल कर रहा है।
मैं अभी ठीक हूं, इसलिए अब मुझे मां की सेवा करने का मौका दिया जाय और मां को मुझे सौंप दिया जाए।

न्यायाधीश महोदय का दिमाग घूम गया और मुक़दमा भी चर्चा में आ गया, न्यायाधीश महोदय ने दोनों भाइयों को समझाने की कोशिश की कि आप लोग 15-15 दिन रख लो।
मगर कोई टस से मस नहीं हुआ बड़े भाई का कहना था कि मैं अपने स्वर्ग को खुद से दूर क्यों होने दूँ? अगर मां कह दे कि उसको मेरे पास कोई परेशानी है या मैं  उसकी देखभाल ठीक से नहीं करता तो अवश्य छोटे भाई को दे दो।
छोटा भाई कहता कि पिछले 40 साल से अकेले ये सेवा किये जा रहा है, आखिर मैं अपना कर्तव्य कब पूरा करूँगा?
परेशान न्यायाधीश महोदय ने सभी प्रयास कर लिये मगर कोई हल नहीं निकला ... 😶😶😶

आखिर उन्होंने मां की राय जानने के लिए उसको बुलवाया और पूंछा कि वह किसके साथ रहना चाहती है?

मां कुल 30 किलो की बेहद कमजोर सी औरत थी और बड़ी मुश्किल से व्हील चेयर पर आई थी उसने दुखी दिल से कहा कि मेरे लिए दोनों संतान बराबर हैं, मैं किसी एक के पक्ष में फैसला सुनाकर दूसरे का दिल नहीं दुखा सकती।

आप न्यायाधीश हैं निर्णय करना आपका काम है, जो आपका निर्णय होगा मैं उसको ही मान लूंगी।

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#Dance #Videos #Hit#Trending , love u all friends SHANU KI सरगम Roshni Rajbhar kavi kumar vigesh Akash shri vastav Divya sharma

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किसने कहा, नहीं आती वो बचपन वाली बारिश, तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की। ©Trending aajkal

#baaris_bachpan_ki #Love_Aaj_Kal #rain  किसने कहा, नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,
तुम भूल गए हो शायद अब नाव बनानी कागज़ की।

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