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आधिपत्य बहुत करने वाले
खुद बन ऊंचा रहने वाले
सत्ता घोषित करने वाले
अधिकार नहीं दे पाए सब
विस्तार नहीं दे पाए सब ।
हे सब अधिकार फक्त कर्ता
दलितों की दुःख व्याधि हर्ता
तुमसे आज भारत चलता ,
कल तो खड़े रहे सब के सब
आज नहीं दे पाए सब ।
बिना गणतंत्र रहें कब तक ?
परतंत्र रहा भारत जब तक
सहस्त्र बलिदान हुए तब तक
कलम से युद्ध विराम हुआ
जहां ध्यान नहीं दे पाए सब ।
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©Ajay Tanwar Mehrana
जय भीम नमो बुद्धाय
# सब के सब # कविता