कुछ इस तरह उससे उसकी जात पूछी जाती है... सरेआम बे | हिंदी कविता

"कुछ इस तरह उससे उसकी जात पूछी जाती है... सरेआम बेझिझक उससे ये बात पूछी जाती है... तुम नहीं जान पाओगें दर्द उसका वो लड़का है जनाब पानी से पहले उससे उसकी औक़ात पूछी जाती है... वो रो भी नहीं सकता खुल के ना वो अपने दर्द का बखान करता है, ना उससे उसकी हालत पूछी जाती है... संग अपने परिवार की जिम्मेदारियों का भार रखता है, कहाँ उससे अब अपने सपनों की बारात पूछी जाती है... कर लेता है सहन हर गम अपनों की खातिर, नाराज भी हो तो कहाँ उससे उसके आंखों की बरसात पूछी जाती है.. ©Aarti Sirsat"

 कुछ इस तरह उससे उसकी जात पूछी जाती है... 
सरेआम बेझिझक उससे ये बात पूछी जाती है... 

तुम नहीं जान पाओगें दर्द उसका वो लड़का है जनाब 
पानी से पहले उससे उसकी औक़ात पूछी जाती है... 

वो रो भी नहीं सकता खुल के ना वो अपने दर्द का 
बखान करता है, ना उससे उसकी हालत पूछी जाती है... 

संग अपने परिवार की जिम्मेदारियों का भार रखता है, 
कहाँ उससे अब अपने सपनों की बारात पूछी जाती है... 

कर लेता है सहन हर गम अपनों की खातिर, नाराज भी 
हो तो कहाँ उससे उसके आंखों की बरसात पूछी जाती है..

©Aarti Sirsat

कुछ इस तरह उससे उसकी जात पूछी जाती है... सरेआम बेझिझक उससे ये बात पूछी जाती है... तुम नहीं जान पाओगें दर्द उसका वो लड़का है जनाब पानी से पहले उससे उसकी औक़ात पूछी जाती है... वो रो भी नहीं सकता खुल के ना वो अपने दर्द का बखान करता है, ना उससे उसकी हालत पूछी जाती है... संग अपने परिवार की जिम्मेदारियों का भार रखता है, कहाँ उससे अब अपने सपनों की बारात पूछी जाती है... कर लेता है सहन हर गम अपनों की खातिर, नाराज भी हो तो कहाँ उससे उसके आंखों की बरसात पूछी जाती है.. ©Aarti Sirsat

#boylife

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